शापूरजी पालोनजी के फ्लोटिंग प्रोडक्शन और स्टोरेज ऑफलोडिंग आर्मडा स्टर्लिंग वी का उपयोग ओएनजीसी परियोजना से तेल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। शापूरजी पल्लोनजी ने कहा कि एफपीएसओ ने 27 फरवरी को स्वर्ण सिंधु पर कच्चे तेल की अनलोडिंग की थी।
फिनलैंड स्थित रिसर्च सेंटर ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत रूस से आयातित कच्चे तेल को रिफाइन कर जी-7 के देशों और यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया को एक्सपोर्ट कर रहा है।
क्रूड ऑयल में भारत की घरेलू खपत अभी करीब 50 लाख बैरल प्रति दिन है। आईईए के निदेशक (ऊर्जा बाजार एवं सुरक्षा) किसुके सदामोरी ने कहा, ‘‘त्वरित हरित ऊर्जा कदमों के बावजूद 2030 तक भारत की तेल मांग तीव्र गति से बढ़ेगी। भारत की वृद्धि दर 2027 में चीन से आगे निकल जाएगी।
लंबे इंतजार के बाद कंपनी ने केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 ब्लॉक में क्लस्टर-2 प्रोजेक्ट से प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। ओएनजीसी का कहना है कि वह इस प्रोजेक्ट से धीरे-धीरे उत्पादन में बढ़ोतरी करेगी।
मजबूत आर्थिक वृद्धि और मजबूत औद्योगिक उत्पादन को देखते हुए एशिया में 2024 में पेट्रो रसायन मांग सबसे अधिक भारत में होने का अनुमान है। भारत में रासायनिक जिंस उत्पादों का बाजार 2023 में करीब सात प्रतिशत और 2024 में आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
अगर क्रूड ऑयल की वैश्विक बेंचमार्क की दरें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बढ़ जाती हैं तो घरेलू कच्चे तेल पर यह टैक्स लगाया जाता है। यह फैसला विंडफॉल गेन टैक्स की हर 15 दिनों पर होने वाली समीक्षा में लिया गया।
ONGC की ओर से बताया गया है कि कंपनी योजना इस महीने केजी-डीब्ल्यूएन-98/2 ब्लॉक में क्लस्टर-2 में कच्चे तेल उत्पादन शुरू करने और उससे प्रोडक्शन बढ़ाने की है।
इजरायल पर हमास की तरफ से बीते 7 अक्टूबर को हुए हमले के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड वायदा 84 डॉलर प्रति बैरल (Crude oil price) से नीचे।
गाजा पट्टी प्रमुख कच्चे तेल उत्पादन वाला क्षेत्र नहीं है, फिर भी हमास-इजराइल संघर्ष के कारण इसकी उपलब्धता को लेकर कई चिंताएं हैं। इस संघर्ष से दुनिया के कुछ सबसे बड़े तेल भंडारों वाले देश ईरान को लेकर भी चिंताएं हैं।
भारत के साथ इजरायल का कारोबार 10 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है। वित्त वर्ष 2023 में इजरायल को निर्यात 8.5 बिलियन डॉलर और आयात 2.3 बिलियन डॉलर है।
तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल का बाजार मार्जिन काफी कमजोर हो गया है।
आरबीआई रुपये को सहारा देने के लिए बाजार में डॉलर जारी कर रहा है, लेकिन इससे भारतीय मुद्रा की गिरावट को रोका नहीं जा सका है। इससे सितंबर में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई है। देश अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है।
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 10,000 रुपये से बढ़ाकर 12,100 रुपये प्रति टन कर दिया है।
पहले जेपी मॉर्गन ने इसी साल फरवरी में कहा था कि इस साल तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना नहीं है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें (Crude Oil Price) इस साल 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकती हैं। आगे रुपये की चाल पूरी तरह तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।
विंडफॉल टैक्स (windfall tax) किसी स्पेसिफिक इंडस्ट्री पर लगाया जाने वाला एक हाई टैक्स है। जब कोई इंडस्ट्री उम्मीद से ज्यादा औसत प्रॉफिट कमाती है तो विंडफॉल टैक्स लागू किया जाता है।
तेल उत्पादक देशों के समूह वाला ओपेक+ ब्लॉक द्वारा उत्पादन में कटौती को तीन और महीनों के लिए बढ़ाए जाने के बाद, ब्रेंट क्रूड 5 सितंबर को 90 डॉलर प्रति बैरल से पार हो गया।
जानकारों का कहना है कि भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी तेल विदेशों से आयात करता है। कच्चा तेल महंगा होने से भारत का आयात बिल बढ़ेगा जो चालू खाते का घाटा बढ़ेगा।
NSE ने एक सर्कुलर में कहा कि 15 मई से जिंस फ्यूचर एंड ऑप्शन खंड में कारोबार के लिए कच्चा तेल एवं प्राकृतिक गैस पर वायदा अनुबंध किए जा सकेंगे।
भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत हो गई है। मार्च में भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद इराक से दोगुना रही है। इस दौरान इराक से कच्चे तेल का आयात 8.1 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक रहा है।
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