पुरी ने कहा कि इन सभी गतिविधियों से पहले, दुनिया में उत्पादित कच्चे तेल की कुल मात्रा प्रतिदिन 10.5 करोड़ बैरल के करीब थी। तेल निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अपनी इच्छा से करीब 50 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की है।
ईरान के मिसाइल हमले के बाद ये आशंका जताई जा रही है कि इजराइल तेल उत्पादक ईरान के तेल या परमाणु केंद्रों को निशाना बना सकता है। ऐसा होने पर ईरान, इजराइल पर सीधा हमला या होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करके जवाब देने का रास्ता अपना सकता है।
ईरान द्वारा 1 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले के बाद चिंता जताई गई कि इजरायल का रिएक्शन तेहरान के तेल बुनियादी ढांचे को टारगेट करेगी। अगर ऐसा होता है, तो तेल की कीमतें 3 से 5 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के लिए अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) को घटाकर शून्य प्रति टन कर दिया। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर अब कोई विंडफॉल टैक्स नहीं लगेगा।
यूक्रेन में संघर्ष के चलते साल 2022 में पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत रूसी तेल का प्रमुख आयातक बन गया। रूस और भारत के बीच रूबल और रुपये में लेनदेन सुचारू रूप से चल रहा है।
भारत ने पहली बार एक जुलाई, 2022 को अप्रत्याशित लाभ कर लगाया, जिससे वह उन देशों में शामिल हो गया जो ऊर्जा कंपनियों के असाधारण लाभ पर कर लगाते हैं।
जुलाई में भारत के कुल आयात में रूसी कच्चे तेल का रिकॉर्ड 44 प्रतिशत हिस्सा रहा। यह बढ़कर रिकॉर्ड 2.07 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से रूस के साथ भारत का व्यापार बढ़ा है।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने एक रिपोर्ट में कहा कि चीन ने रूस के कच्चे तेल निर्यात का 47 प्रतिशत खरीदा, उसके बाद भारत (37 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (सात प्रतिशत) और तुर्किये (छह प्रतिशत) रहा।
सरकार द्वारा हर 15 दिन में विंडफॉल टैक्स की समीक्षा की जाती है। हाल के महीनों में कई बार कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स कम किया जा चुका है।
भारत की कच्चे तेल की मांग 2023 में 54 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से बढ़कर 2030 तक 67 लाख बीपीडी हो जाने का अनुमान है। यह 3.2 प्रतिशत या 13 लाख बीपीडी की वृद्धि है।
रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने की भारत की रणनीति के चलते वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में लगभग 7.9 बिलियन डॉलर की बचत हुई है और देश को अपने चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली है।
सरकार द्वारा हर 15 दिन में कच्चे तेल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स की समीक्षा की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रही कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर ही विंडफॉल टैक्स को घटाया या बढ़ाया जाता है।
मात्रा के लिहाज से वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले रूस से आयातित कच्चे पेट्रोलियम का हिस्सा वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में 36 प्रतिशत हो गया, जबकि पश्चिम एशियाई देशों (सऊदी अरब, यूएई और कुवैत) से आयातित हिस्सा 34 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत हो गया।
विंडफॉल टैक्स को हर दो सप्ताह में संशोधित किया जाता है। पिछली समीक्षा के दौरान 1 मई को पेट्रोलियम क्रूड पर टैक्स को 9,600 रुपये प्रति टन से घटाकर 8,400 रुपये प्रति टन कर दिया गया था।
Iran Israel conflict : अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद किया तो कच्चे तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ सकती हैं।
सरकार ने देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार तैयार करने और उसके परिचालन के लिए विशेष इकाई इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि.(आईएसपीआरएल) का गठन किया है। भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है।
Crude Oil के बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 86 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गई है। मॉर्गन स्टेनली ने भी अनुमान जताया है कि इस वर्ष की तीसरी तिमाही में कच्चे तेल का दाम 86 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।
क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) दो तरह का होता है। जिसमें एक होता है ब्रेंट क्रूड जो कि लंदन में ट्रेड होता है। दूसरा होता है WTI, जो कि अमेरिका में ट्रेड होता है। भारत जिस कच्चे तेल का आयात किया जाता है, वह ब्रेंट क्रूड है।
शापूरजी पालोनजी के फ्लोटिंग प्रोडक्शन और स्टोरेज ऑफलोडिंग आर्मडा स्टर्लिंग वी का उपयोग ओएनजीसी परियोजना से तेल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। शापूरजी पल्लोनजी ने कहा कि एफपीएसओ ने 27 फरवरी को स्वर्ण सिंधु पर कच्चे तेल की अनलोडिंग की थी।
फिनलैंड स्थित रिसर्च सेंटर ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत रूस से आयातित कच्चे तेल को रिफाइन कर जी-7 के देशों और यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया को एक्सपोर्ट कर रहा है।
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