उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (CPI) महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। देश की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में बढ़कर 4.58 फीसदी पर रही, जो मार्च में 4.28 फीसदी थी और पिछले साल के अप्रैल में 2.99 फीसदी थी।
आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
अप्रैल माह में मैक्रो डाटा ने मिश्रित संकेत दिए हैं। एक ओर जहां सीपीआई मुद्रास्फीति दर मार्च माह में घटकर 4.28 प्रतिशत रही, जो कि इससे पहले फरवरी माह में 4.48 प्रतिशत थी, वहीं दूसरी ओर फरवरी माह के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कमजोर रही।
महंगाई दर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े उम्मीद से अच्छे रहे हैं। जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई है जो अनुमान से कहीं ज्यादा है
आर्थिक मोर्चे पर सरकार को आज बड़ी राहत मिली है। फरवरी महीने में महंगाई की दर में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं देश में औद्योगिक उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर के लिए अच्छे संकेत हैं।
इस हफ्ते महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन और विदेश व्यापार के आंकड़े जारी होने हैं जो शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं
जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.07% रह गई थी, जबकि थोक मुद्रास्फीति 2.84% थी जो छह महीने का निचला स्तर था
आम जनता के लिए अच्छी खबर है कि जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 5.07 फीसदी रही। वहीं, दिसंबर 2017 में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (IIP ग्रोथ) 7.1 प्रतिशत रही।
खाद्य वस्तुओं, विशेषकर अंडे और सब्जियों के दाम बढ़ने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 5.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स 33,123.44 के निचले स्तर तक लुढ़क गया था और फिलहाल 28.33 प्वाइंट घटकर 33,199.16 पर कारोबार कर रहा है
नवंबर माह में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। नवंबर के लिए रिटेल महंगाई दर 4.88 प्रतिशत रही। इसने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय किए गए 4 प्रतिशत के महंगाई लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।
इस हप्ते घरेलू स्तर पर महंगाई दर और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी होने हैं। इसके अलावा अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को लेकर फैसला भी आना है
अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर यानि CPI बढ़कर 3.58 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। अगस्त में रिटेल महंगाई दर 3.28 फीसदी रही थी।
खुदरा एवं थोक महंगाई दर में जुलाई माह में वृद्धि हुई और आने वाले महीनों में इसमें और वृद्धि आ सकती है। मोर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई है।
मई में महंगाई दर के पांच माह के निचले स्तर 2.17 फीसदी के स्तर पर आ जाने के चलते भारतीय उद्योग जगत ने RBI से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है।
खाने-पीने की वस्तुओं के सस्ता होने से रिटेल मुद्रास्फीति मई में रिकॉर्ड 2.18% के निम्न स्तर पर आ गई, वहीं अप्रैल में आईआईपी बढ़कर 3.1 प्रतिशत रहा।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि GST लागू होने से पहले अगर कीमतें बढ़ी तो बाद में संबद्ध प्राधिकरण द्वारा बही खाते की जांच हो सकती है।
कुछ राज्यों में MNREGA की दैनिक मजदूरी में मामूली बढोतरी के बीच केंद्र इस योजना के तहत दी जाने वाली मजूदरी के आधार पर फिर से काम करेगी।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने की आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है।
चीन की GDP चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.8 प्रतिशत रह सकती है। गोल्डमैन सैक्स ने यह अनुमान जताया है। पिछले साल आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी।
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