बॉन्ड एक फिक्स रिटर्न वाला इनकम सोर्स है। सरकारों के अलावा प्राइवेट कंपनियां भी बॉन्ड जारी करते हैं। जब सरकार या किसी प्राइवेट कंपनी को पैसों की जरूरत होती है तो वे बॉन्ड जारी करते हैं।
Reliance Tata Vodafone: भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ने वाले 5 ऐसे डील के बारे में आज हम जानेंगे, जो इन कंपनियों को एक नई उंचाई पर ले जानें में मील का पत्थर साबित हुए हैं।
जोखिम भरे शेयर बाजार और इसके उथल-पुथल से बचकर भी आप कई जगह निवेश कर इससे अच्छा रिटर्न ले सकते हैं। इनमें पीपीएफ, हाई ग्रेड कॉरपोरेट बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा शॉर्ट टर्म डेब्ट फंड्स शामिल हैं। इनमें प्रिंसिपल अमाउंट डूबने का खतरा कम रहता है।
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने आज कहा कि कंपनियों को कॉरपोरेट बांड के जरिये पूंजी जुटाने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु सेबी इस संबंध में जल्दी ही प्रावधान तय करेगा।
भारतीय कंपनियों ने इस साल जनवरी से सितंबर की अवधि के दौरान कॉरपोरेट बांड के निजी नियोजन से 5.52 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं।
भारतीय कंपनियां चालू वित्त वर्ष में अब तक कॉरपोरेट्स बांड्स के जरिये कुल 2.2 लाख करोड़ रुपए का धन जुटा चुकी हैं।
भारतीय कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष में कारोबारी जरूरतों की पूर्ति के लिए कॉरपोरेट बांड्स के निजी नियोजन के माध्यम से सात लाख करोड़ रुपए जुटाए
सार्वजनिक क्षेत्र की NHPC को निजी नियोजन के आधार पर कॉरपोरेट बांड के माध्यम से 4,500 करोड़ रुपए जुटाने के लिए उसके निदेशक मंडल से मंजूरी मिल गई है।
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