सर्वेक्षण के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई (बिना वैकल्पिक आंकड़ों के) 2011-12 के 2,630 रुपये से 2022-23 में दोगुना से अधिक होकर 6,459 रुपये हो गया है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 3,773 रुपये हो गया है।
खुदरा मुद्रास्फीति मई में सालाना आधार पर 7.04 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 7.79 प्रतिशत था। दूसरी ओर थोक मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद देश में पेट्रोल, डीजल, पीएनजी, सीएनजी और रसोई गैस के दाम तेजी से बढ़े हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाजार में सब्जी बेचने वाली कामिनी पटेल का कहना है कि लोग महंगी सब्जियां खरीदने से कतरा रहे हैं। इसके चलते बिक्री घटी है। मैं पहले रोजाना 1500 रुपये तक कमा लेती थी लेकिन अब 1000 रुपये से भी नीचे आ गई है।
कोरोना महामारी के चलते आम लोगों की आय घटी और महंगाई है। एक सर्वे के अनुसार, बीते दो सालों में प्रति व्यक्ति आय पांच हजार तक घटी। वहीं, रहना,खाना से लेकर घूमना महंगा हो गया है।
हालत यह है कि मार्च, 2021 के मुकाबले इस साल मार्च तक सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में जोरदार तेजी दर्ज की गई है।
कोरोना संकट और अब महंगाई से आम आदमी पर दोतरफा मार पड़ी है।इस बाजट में आम आदमी के हाथ में खर्च के लिए अधिक पैसा पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है।
सरकार ने बजट में कई ऐलान किए हैं जानिए इनमें से कोन से ऐलान आम लोगों को प्रभावित करेंगे
Demonetisation के तीन सप्ताह गुजर चुके हैं, मगर उसके बाद से कोई खास सकारात्मक प्रभाव लोगों के सामने नहीं आया है। हांलाकि कैशलेस लेन-देन में बढ़ोतरी हुई है।
जीएसटी (GST) में प्रस्तावित चार स्तरीय टैक्स रेट से आम आदमी की जेब पर भारी बोझ बढ़ने वाला है। खाद्य तेल, मसाले और चिकन पर अधिक टैक्स चुकाना पड़ सकता है।
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