पिछले साल अप्रैल में भारत का कोयला आयात 1.70 करोड़ टन रहा था। अप्रैल में कुल आयात में नॉन-कोकिंग कोयले का हिस्सा 1.53 करोड़ टन रहा है
कंपनी के बोर्ड ने ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए प्रति शेयर 10 रुपए के अंकित मूल्य पर और 3.50 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया है।
लाभांश का अंतिम हिस्सा 2-2.5 रुपये प्रति शेयर हो सकता है। इस तरह कुल लाभांश 15 रुपये प्रति शेयर से कम तक हो सकता हैं।
सूत्रों ने कहा कि 27 मार्च तक कोल इंडिया का उत्पादन 58.5 करोड़ टन रहा है। माह के शेष दिनों में 1.1 करोड़ टन का और उत्पादन होगा। इस तरह कंपनी का कुल उत्पादन 59.6 से 59.7 करोड़ टन के बीच रहेगा।
ये 67 खदानें छह राज्यों - छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में हैं। सरकार के मुताबिक वाणिज्यिक कोयला खनन से नया निवेश आएगा, रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे और कोयला उत्पादक राज्यों में सामाजिक, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
जनवरी में भारत का कोयला आयात बढ़कर 2 करोड़ टन से अधिक रहा, जो एक साल पहले समान महीने में 1.86 करोड़ टन रहा था। जनवरी में कोयले के कुल आयात में नॉन कोकिंग कोयले का हिस्सा 1.27 करोड़ टन और कोकिंग कोयले का हिस्सा 56.2 लाख टन रहा।
तिमाही के दौरान कारोबार से आय 2.1 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23686 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। पिछले साल की दिसंबर तिमाही में कंपनी की कारोबार से आय 23190 करोड़ रुपये के स्तर पर थी।
कोल इंडिया ने बयान में कहा कि 2020-21 के 10,000 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। कुल 3,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश में सीआईएल की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सब्सिडियरी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि.का हिस्सा करीब 800 करोड़ रुपये है।
नवंबर महीने देश का कोयला आयात पिछले वित्त वर्ष के 217.2 लाख टन से कम होकर 203.5 लाख टन पर आ गया। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2020 में प्रमुख व अन्य बंदरगाहों से भारत का कोयला व कोक आयात नवंबर 2019 की तुलना में 6.3 प्रतिशत कम हुआ।
फिलहाल भारत 72.9 करोड़ टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। मांग पूरा करने के लिए पिछले साल भारत ने 24.7 करोड़ टन कोयले का आयात किया था और इसपर 1.58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च की थी।
नवंबर के महीने के दौरान कोल इंडिया द्वारा बिजली क्षेत्र को की गई ईंधन की आपूर्ति 3.938 करोड़ टन पर स्थिर रही। पिछले साल के इसी महीने में कोल इंडिया द्वारा कोयले की आपूर्ति 3.912 करोड़ टन हुई थी।
कोयला मंत्रालय ने चार कोयलों ब्लॉकों के लिए नए सिरे से बोलियां आमंत्रित की हैं।
यह लगातार आठवां महीना है, जब इन क्षेत्रों का उत्पादन कम हुआ है, इस दौरान कोयला, उर्वरक, सीमेंट और बिजली क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गयी। अक्टूबर 2019 में इन आठ क्षेत्रों के उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
पिछले 10 चरणों में कुल 35 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गयी। इसमें से केवल 14 ब्लॉक में परिचालन शुरू हो सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जून में वाणिज्यिक खनन के लिये 41 कोयला खदानों के लिये नीलामी प्रक्रिया की शुरूआत की थी।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान कोल इंडिया का शुद्ध लाभ 16 प्रतिशत घटकर 2,951 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,523 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था। कोल इंडिया ने शेयर बाजार को बताया कि इस अवधि में उसकी बिक्री आय 19,484 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 18,986 करोड़ रुपये थी।
यह मामला टॉपवर्थ ऊर्जा एण्ड मेटल्स लिमिटेड (पूर्व में श्री वीरांगना स्टील्स लिमिटेड) से जुड़ा है। कंपनी को पूर्वी महाराष्ट्र क्षेत्र में मार्की मांगली- दो, तीन और चार कोयला ब्लाकों का आवंटन किया गया था। ईडी ने एक वक्तव्य में कहा है कि कंपनी को यह कोयला ब्लॉक आवंटन ‘‘धोखाधड़ी और गलत जानकारी के जरिये’’ हुआ है।
ताप बिजली संयंत्रों तथा अन्य उद्योगों की उपभोग मांग में सुधार से सितंबर में देश का कोयला आयात 11.6 प्रतिशत बढ़कर 1.90 करोड़ टन से अधिक रहा है।
अपैल से अगस्त के बीच तापीय कोयला आयात 25.42 प्रतिशत घटकर 2.893 करोड़ टन, जबकि कोकिंग कायले का आयात 31.87 प्रतिशत घटकर 1.684 करोड़ टन रहा।
वित्त वर्ष के पहले पांच माह (अप्रैल-अगस्त) में कोयले का आयात 32.51 प्रतिशत घटकर 7.30 करोड़ टन रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 10.82 करोड़ टन था।
कंपनी ने जानकारी दी है कि 20 करोड़ और उससे अधिक की लागत वाली 123 कोयला परियोजनाओं में काम जारी है जिसमें से 69 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय पर हैं वहीं 54 परियोजनाएं देरी से चल रही
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