देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को ख़ासा प्रभावित किया है।
सरकार के मुताबिक कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और बारिश की वजह से देश की कोयला खदानों में कामकाज पर असर से बिजली उत्पादन घटा है, लेकिन उम्मीद है कि यह स्थिति 3-4 दिन में ठीक हो जायेगी।
बीते वित्त वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ ने सबसे अधिक 15.84 करोड़ टन का कोयला उत्पादन दर्ज किया। ओडिशा 15.41 करोड़ टन के उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
लॉकडाउन की वजह से बिजली की मांग में गिरावट से कोयले की सप्लाई पर असर
भारत सालाना 23.5 करोड़ टन कोयले का आयात करता है इस घटाने की कोशिश
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया की बिजली क्षेत्र को कोयला आपूर्ति चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि में 6.8 प्रतिशत घटकर 37.79 करोड़ टन रही।
कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह या तो 110 अतिरिक्त ब्लाक का परिचालन शुरू करे या ये खदान सरकार को लौटा दे।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड एक वित्त वर्ष में 15 करोड़ टन कोयला उत्पादन करने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है।
बिजली संयंत्रों में कोयले के कम भंडार के लिए कोयला सचिव सुशील कुमार ने संयंत्रों को ही जिम्मेदार ठहराया है। कुमार ने कहा कि कोयले की कोई कमी नहीं है।
केंद्र ने ओडि़शा को चेतावनी दी है कि अगर ओडि़शा सरकार कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं लाती है तो कोल इंडिया को अपना उत्पादन वहां से हटाना होगा।
देश भर में कोयले के उत्पादन में वृद्धि हुई है। कोयला, विद्युत, अक्षय उर्जा और खान राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने आज राज्यसभा को यह जानकारी दी।
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