उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही बढ़ती खपत, उद्यमिता, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचा जैसे तत्व एक साथ आते हैं, भारत पर वैश्विक कंपनियों का ध्यान जा रहा है।’’
चिप डिजाइन में भारत के पास पहले से ही गहरी क्षमताएं हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इन इकाइयों के साथ देश चिप निर्माण में भी क्षमता विकसित करेगा, जिससे आने वाले वर्षों में चीन की बाजार हिस्सेदारी और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।
ताई ने अबू धाबी में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में अपने संबोधन में कहा कि चीन का आर्थिक विकास दुनिया भर में कई प्रतिस्पर्धी दबाव पैदा कर रहा है और संस्था में अब सुधार की जरूरत है।
भारत तेजी से दुनिया के लिए चीन का विकल्प बनता जा रहा है। उम्मीद है कि साल 2047 तक भारत विकसित देशों में शामिल हो सकता है। साथ ही 2030 तक भारत का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों के व्यापार मंत्री लाल सागर संकट, यूक्रेन-रूस युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष के कारण अनिश्चित वैश्विक आर्थिक हालात की पृष्ठभूमि में बैठक कर रहे हैं। भारत बैठक में अपने हितों के मुद्दों को पूरी ताकत के साथ उठाएगा।
पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेस डिपार्टमेंट के नाम से जानी जाने वाली इन यूनिट्स के लोग अपनी रेगुलर जॉब भी बनाए रखते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इन कॉरपोरेट ब्रिगेड्स की स्थापना विदेशों में संभावित संघर्ष और इकोनॉमी के लड़खड़ाने के चलते घरेलू सामाजिक अशांति के बारे में चीन की बढ़ती चिंताओं को उजागर करती हैं।
चाइना डिसेंट मॉनिटर का नेतृत्व करने वाले केविन स्लेटन ने कहा कि श्रमिकों का विरोध अक्सर वेतन विवाद और व्यावसायिक सुरक्षा से जुड़ा होता है।
चीनी अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है। विकास दर में भारी गिरावट, बढ़ती बेरोजगारी और रियल एस्टेट बाजार गंभीर संकट में है। भारत निश्चित रूप से अधिक पूंजी प्रवाह को आकर्षित करेगा। चिंता की बात भारत में हाई वैलुएशन है।
हफ्ते की शुरुआत दुनिया और चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे पर बिकने की नौबत आने से हुई थी। फिर संघाई कंपोजिट इंडेक्स 6.2 फीसदी गिर गई। यह अक्टूबर 2018 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है।
चीन और दुनिया की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे बिकने के कगार पर पहुंच गई है। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी की चिंताएं और बढ़ गई है। चीनी शेयर बाजार 5 साल के निचले लेवल पर है।
Evergrande Crisis Explained: हांगकांग की अदालत ने चीनी कंपनी एवरग्रांडे की संपत्ति बेचकर कर्जदारों का पैसा वापस लौटाने का आदेश दिया है।
चीनी अर्थव्यवस्था के लिये चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2016 के बाद पहली बार किसी साल में चीन का निर्यात घटा है। चीन की अर्थव्यवस्था अपस्फीति के दबाव से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है।
चीन की इकॉनमी के लिए एक और बुरी खबर आई है। चीन की मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई दिसंबर में गिरकर 49 पर आ गई। यह सूचकांक पिछले नौ महीनों में से आठ बार गिरा है। केवल सितंबर महीने में इसमें वृद्धि हुई थी।
भारत की ओर से चीन पर निर्भरता खत्म करने की मुहिम रंग ला रही है। चीन अब भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार नहीं रह गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में चीने से होने वाला आयात में बड़ी कमी आई है।
एक समय दुनिया की फैक्ट्री कहे जाना वाला चीन धीरे-धीरे गंभीर मंदी की चपेट में फंसता जा रहा है। एक के बाद एक आर्थिक आंकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं। वहीं, भारत बिना किसी बाधा के तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनियाभर के निवेशक अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन लगातार पीछे होता जा रहा है। वहीं, भारत हर मोर्चे पर चीन से आगे निकलता जा रहा है। चीन मंदी की चपेट में है, जबकि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसके चलते पूरी दुनिया भारत की ओर रुख कर रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन की इकोनॉमी मंदी की चपेट में आ गई है। पश्चिमी देशों से संबंध खराब होने का असर भी चीन की इकोनॉमी पर पड़ा है।
डब्ल्यूईएफ के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को इस वर्ष दक्षिण एशिया खासकर भारत में मध्यम या मजबूत वृद्धि की उम्मीद है।
रिपोर्टों के जवाब में चीनी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। रिपोर्ट के अनुसार, एप्पल का शेयर बाजार मूल्यांकन दुनिया में सबसे अधिक करीब 2.8 ट्रिलियन डॉलर है।
चीन के व्यापार में पिछले दो वर्षों से धीरे-धीरे गिरावट आई है। चीन की अर्थव्यवस्था कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था उम्मीद से काफी पहले ही कमजोर पड़ गई है।
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