चीन की अर्थव्यवस्था पर अब कोरोना वायरस का असर दिखने लगा है। उसकी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी हो गई है। इसका कारण उसके बाजार में गिरावट, बिजली संकट और अन्य कारण बताया जा रहे है।
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी कोरोनावायरस डाटा के मुताबिक चीन में 104,157 कोरोना मामले आए हैं और यहां महामारी से 4848 लोगों की मौत हुई है।
चीन की अर्थव्यवस्था डॉलर के मद में 15,420 अरब डॉलर (15.42 ट्रिलियन डॉलर) है, जबकि स्थानीय मुद्रा के मद में अर्थव्यवस्था का आकार एक लाख अरब युआन से अधिक है।
वैश्विक व्यवसायों पर प्रभाव की मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि वायरस पर कितनी जल्दी नियंत्रण पा लिया जाता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका कई गुना बढ़ चुकी है।
पिछले साल चीन की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 6.1 प्रतिशत रही, जो कि पिछले तीन दशक में सबसे धीमी है।
पिछले अनुमान में 2018 में देश की जीडीपी 90,030 अरब युआन या 12,800 अरब डॉलर आंका गया था
चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2019 की तीसरी तिमाही में करीब तीन दशक के निचले स्तर पर आ गयी।
चीन की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार इस साल की दूसरी तिमाही में करीब तीन दशक के सबसे निम्न स्तर 6.2 प्रतिशत पर रही।
मार्च तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 7.3 प्रतिशत रह सकती है जो नोटबंदी के बाद सबसे अच्छी तिमाही ग्रोथ होगी। मार्च तिमाही से पहले दिसंबर तिमाही में ग्रोथ 7.2 प्रतिशत थी और वित्तवर्ष 2016-17 की मार्च तिमाही में ग्रोथ 6.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष( आईएमएफ) ने आज कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दो अस्थायी झटकों के बाद इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज हो सकती है जबकि चीन की वृद्धि रफ्तार धीरे धीरे कम होने की संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि 2018 और 2019 में में चीन की वृद्धि दर क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि भारत में 7.4 और 7.8 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान है
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन को बड़ा झटका दिया है। मूडीज ने चीन की लॉन्ग टर्म, विदेशी करंसी रेटिंग Aa3 से घटाकर A1 कर दी है।
चीन की आर्थिक ग्रोथ को बड़ा झटका लगा है। 2016 में चीन की कुल GDP विकास दर 6.7 फीसदी दर्ज की गई है। जो कि 26 साल में सबसे कम ग्रोथ है।
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