सरकार घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देने और कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले कुछ वर्षों से चना सहित विभिन्न प्रकार की दालों का बफर स्टॉक बनाए रख रही है।
चना दाल जो फिलहाल बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ती दाल है, की कीमत में एक महीने में 4 प्रतिशत कमी देखने को मिली है। इस सप्ताह अरहर दाल की कीमतों (Arhar dal price) पर दबाव रहने की उम्मीद है।
चना भारत में सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित होने वाला दलहन है और पूरे देश में कई रूपों में इसका सेवन किया जाता है।
फसल वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल रबी सीजन के दौरान देश में रिकॉर्ड अनाज और दलहन पैदा होने का अनुमान है।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
क्या सरकार के पास क्या इतना स्टॉक पड़ा भी है कि वह 5 महीने तक फ्री में 80 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल के साथ एक किलो चना उपलब्ध करा सके?
देश के 2 बड़े चना उत्पादक राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने रिकॉर्डतोड़ चने की खरीद की है। सरकारी एजेंसी नैफेड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 6 जून तक एजेंसी ने देशभर में कुल मिलाकर 22,58,654 टन चने की खरीद की है। देश में कभी भी चने की इतनी ज्यादा सरकारी खरीद नहीं हुई है
देश के सबसे बड़े चना उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ी घोषणा की है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस साल राज्य में 11.27 लाख टन चना खरीदने की घोषणा की है। किसी एक सीजन में एक राज्य से केंद्र की तरफ से होने वाली यह अबतक की सबसे बड़ी दलहन खरीद होगी
देश के चना किसानों को आयातित दलहन की मार से बचाने के लिए सरकार ने देश में सबसे ज्यादा आयात होने वाले दलहन पीले मटर के आयात पर अंकुश लगा दिया है। बुधवार को इस सिलसिले में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के मुताबिक 3 महीने के लिए देश में पीले मटर के आयात पर अंकुश रहेगा
सरकार चने के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए करीब 7 प्रतिशत निर्यात प्रोत्साहन देने की घोषणा कर सकती है। इस कदम के पीछे सरकार का मकसद चने की कीमतो को समर्थन मूल्य के ऊपर पहुंचाना है
राजस्थान में इसी साल चुनाव होने हैं और चुनावों से पहले राज्य के किसानों को खुश करने के लिए यह कदम उठाया गया है
हफ्ताभर पहले दिल्ली में चने का भाव 4,600-4,900 रुपए प्रति क्विंटल था जो अब घटकर 4,200-4,500 रुपए तक आ गया है
सामान्य तौर पर पूरे रबी सीजन के दौरान देश में 623.53 लाख हेक्टेयर की खेती होती है और इस बार पहली दिसंबर तक 389.83 लाख हेक्टेयर में फसल लग चुकी है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने आज 2017-18 के लिए पूरी रबी की फसल के लिए MSP की मंजूरी दी।
सूत्रों से मिल जानकारी के मुताबिक कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX पर शुक्रवार से चने का वायदा कारोबार शुरू हो सकता है
आयात पर अंकुश लगाने तथा रिकॉर्ड उत्पादन की स्थिति में कीमतों में आई गिरावट से किसानों के बचाव के लिए सरकार चने पर 25% का आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है
कृषि जिंस एक्सचेंज NCDEX ने दलहन विशेषरूप से चना, तुअर और उड़द का वायदा कारोबार फिर शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से अनुमति मांगी है।
पिछले एक साल के दौरान दालों की कीमतों में अच्छी गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान दालें करीब 30 फीसदी सस्ती हो गई हैं।
सरकार चना वायदा कारोबार से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है। इसका मकसद कटाई के समय किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना है।
लेटेस्ट न्यूज़