आईपीए की रिपोर्ट के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में पारादीप और मोर्मुगाव को छोड़कर अन्य की ढुलाई में गिरावट आई। इस दौरान पारादीप बंदरगाह की ढुलाई 1.65 प्रतिशत बढ़कर 11.45 करोड़ टन और मोर्मुगाव की ढुलाई 37.06 प्रतिशत बढ़कर 2.19 करोड़ टन पर पहुंच गयी।
भारत से यूरोप के मालभाड़े यानी पोत परिवहन की लागत में कोरोना काल में करीब 80 फीसदी का इजाफा हुआ है। जानकारों के मुताबिक अगर मालभाड़ा में बढ़ोतरी नहीं हुई होती तो फरवरी में देश के निर्यात में और पांच से सात फीसदी की वृद्धि होती, जो कि 1 प्रतिशत से कम रही है।
रेलवे के मुताबिक बीडीयू के प्रयासों से अब कई ऐसी वस्तुओं का भी रेलमार्ग से परिवहन प्रारंभ हुआ है, जिसका परिवहन अब तक सड़क मार्ग द्वारा किया जा रहा था। इन वस्तुओं में साड़ी, चिरौंजी, पेपर रोल, मोटर पम्प एवं पीतल निर्मित सामान शामिल हैं
प्रमुख 12 बंदरगाहों पर माल यातायात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान 10.53 प्रतिशत घटकर 41.43 करोड़ टन रह गया, जो अप्रैल-नवंबर 2019 में 46.30 करोड़ टन था।
अप्रैल-अगस्त के दौरान चेन्नई, कोचिन और कामराजार बंदरगाहों की ढुलाई में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आयी। वहीं, जेएनपीटी और कोलकाता बंदरगाहों की ढुलाई 20 प्रतिशत से अधिक घटी।
बंदरगाहों की प्रमुख संस्था IPA के मुताबिक इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच मुख्य बंदरगाहों के द्वारा कार्गो हैंडलिंग 16.56 फीसदी की गिरावट के साथ 24.5 करोड़ टन के स्तर पर आ गई है।
देश को जहाजों की मरम्मत और निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाने का भी लक्ष्य
सरकार ने हाल ही में एविएशन कंपनियों को माल ढुलाई के लिए यात्री विमानों के इस्तेमाल की छूट दी है
कुछ शर्तों के साथ यात्री वाहनों से संभव हो सकेगी माल ढुलाई
जनवरी से अब तक 1.85 लाख उड़ाने रद्द हुईं
देश के प्रमुख 12 प्रमुख बंदगाहों पर माल की ढुलाई चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह यानी अप्रैल से जनवरी के दौरान 1.14 प्रतिशत बढ़कर 5,857.2 लाख टन पर पहुंच गयी।
अमेरिका के बाद अब रूस से भी भारत को एलएनजी मिलने लगी है। भारत दुनिया भर में तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का चौथा बड़ा खरीदार है और अपने आयात के स्रोता का विस्तार कर रहा है।
सामान की ढुलाई को अड़चन रहित बनाने के लिए सरकार ने सरकारी विभागों द्वारा अनुबंध पर लिए गए सभी सरकारी वाहनों के लिए ई-टोल टैग को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है।
बांग्लादेश से आयातित माल लेकर भारत पहुंचा। ऐसा एक दूसरे के वाणिज्यिक वाहनों को प्रवेश देने के एक क्षेत्रीय समझौते के चलते संभव हुआ।
दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक विमान -एंतोनोव एएन-225 मरिया- इसी सप्ताह हैदराबाद स्थित राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा।
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