बिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम एनटीपीसी ने 2,083 करोड़ रुपये खर्च किए। वित्त मंत्रालय उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के पूंजीगत व्यय पर नज़र रखता है जिनका वार्षिक निवेश लक्ष्य 100 करोड़ रुपये से अधिक है।
कैबिनेट ने आज 3 सरकारी बीमा कंपनियों में 2500 करोड़ डालने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी आम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के लिए दूसरे दौर की पूंजी डालने की घोषणा कर सकती हैं।
केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालेगी, जिससे वे 5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज मुहैया करा पाएंगे। इससे कॉर्पोरेट्स, खुदरा कर्जदारों, और छोटे व्यापारियों समेत अन्य को फायदा होगा। इस कदम से क्रेडिट की वृद्धि दर को बढ़ावा मिलेगा, जो करीब 12 फीसदी तक होगी। साथ ही कंज्यूमर सेंटीमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।
एसएंडपी ग्लोबल में क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुग ने कहा कि हमारा विश्वास है कि पूंजी डालने से सरकारी बैंकों को उनके कमजोर कॉरपोरेट ऋण में आवश्यक कांट-छांट करने में मदद मिलेगी।
आम बजट 2019-20 में सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी दिए जाने का प्रस्ताव उनकी ऋण देने की स्थिति मजबूत करेगा।
इन बैंकों को गुरुवार को अपने शेयरधारकों से सरकार को शेयरों के तरजीही आवंटन के जरिये पूंजी प्राप्त करने के प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई।
सरकार की ओर से अतिरिक्त पूंजी मिलने और फंसे कर्जों के मोर्चे पर सुधार से देश की बैंकिंग प्रणाली प्रणाली कुछ सालों में मजबूत हो जायेगी। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस एंड पी (S&P) ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है।
वित्त मंत्रालय ने आज पीएनबी, कॉरपोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक सहित 5 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 11,336 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश को मंजूरी दे दी है।
वित्त वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को हुए घाटे से सरकार का इन बैंकों में किया गया करीब 13 अरब डॉलर का पूंजी निवेश एक तरह से बेकार हो गया और चालू वित्त वर्ष में भी इस स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक बैंकों को इस महीने समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में सरकार से 46,101 करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी मिलेगी। इन बैंकों में एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक, यूनियन बैंक तथा ओबीसी शामिल हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने इक्विटी शेयर के निजी नियोजन के आधार 3,000 करोड़ रुपए की पूंजी जुटाने की योजना टाल दी है। बैंक ने सरकार के 2,257 करोड़ रुपए की पूंजी डाले जाने के निर्णय के बाद योजना टाली है।
संकटग्रस्त बैंको को बचाने के लिए सरकार ने कई कमजोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 7,577 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह पूछा जाना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2008 से 2014 के बीच किसके कहने पर वे कर्ज दिए जो आज एनपीए बन गए हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक बैंकों में और पूंजी डालने का फैसला बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के इरादे से किया है।
मूडीज ने कहा है कि हालांकि सरकार की तरफ से नई पूंजी डाले बगैर विलय मात्र से ही सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों की पूंजी की कमजोर स्थिति में सुधार नहीं होगा।
सरकार तरजीही आधार पर शेयर आवंटित किए जाने के एवज में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों- IDBI बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और देना बैंक में पूंजी डालेगी।
बैड बैंक की स्थापना से देश के बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने में तेजी आएगी। यह कहना है वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच का।
आईओबी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को सरकार के हाल में पूंजी डालने से फायदा होगा क्योंकि उन्हें उनकी शेयर पूंजी के अनुपात में अधिक हिस्सेदारी मिली।
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