सरकार और आरबीआई द्वारा अबतक 27.1 लाख करोड़ रुपये के राहत उपायों की घोषणा की जा चुकी है, जो जीडीपी का 13 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए अपने शुरुआती भाषण में कहा कि यह बजट आपदा में अवसरवाला है। यह बजट आत्मनिर्भर भारत का विजन है।
उन्होंने नई स्क्रैपिंग पॉलिसी का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में 20 साल पुराने व्यक्तिगत वाहन और 15 साल पुराने commerical वाहन को स्क्रैप करने की बात कही गई है। संबंधित मंत्रालय बाकी जानकारी इस विषय में देगा
Big Annoucement: पीएम आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना होगी लॉन्च, खर्च होंगे 64,180 करोड़ रुपये
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय से अपने हाथ में टैबलेट लेकर बाहर आईं, जो डिजिटल इंडिया का एक संकेत भी है।
कोरोना वायरस महामारी से धीरे-धीरे उबरने के दौरान पेश किया जाने वाला यह बजट ऐतिहासिक हो सकता है।
सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के पारंपरिक ब्रीफकेस को बदल दिया था और लाल कपड़े में लिपटे बही-खाते के रूप में बजट दस्तावेजों को पेश किया था।
लगभग तीन-चौथाई लोगों को लगता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, महंगाई अनियंत्रित हो गई है और कीमतें बढ़ गई हैं। ये खुलासा हुआ है आईएएनएस-सीवोटर के बजट पर एक सर्वे में।
बजट पेश होने से ठीक पहले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
ईंधन की कीमत, स्थानीय बिक्री कर या वैट के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है। वर्तमान में देश में दोनों ईंधन की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं। इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी।
सरकार आगामी बजट में नकदी संकट से जूझ रही घाटे वाली बिजली वितरण कंपनियों यानी डिस्कॉम के पुनरोद्धार के लिए नयी योजना की घोषणा कर सकती है।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट, वृहद आर्थिक आंकड़ों तथा रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा जैसे बड़े घटनाक्रमों की वजह से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार 1 फरवरी को बजट 2021 को पेश करने जा रही हैं। वे देश की पहली महिला वित्म मंत्री हैं।
आम बजट में सरकार साल भर के खर्च और आमदनी का लेखाजोखा संसद के जरिए आम जनता के सामने रखती है।
हर युवा से ये उम्मीद की जा रही है कि वह न सिर्फ इस बजट को सुने बल्कि समझे भी।
बजट देश के संविधान का एक अहम हिस्सा है, लेकिन बजट के साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होती हैं जिन्हें अक्सर हम नियम समझ लेते हैं।
बजट के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे काफी सारे तथ्य हमारे सामने आएंगे जो देश के बदलते आर्थिक हालात बतलाते हैं।
किसान आंदोलन के हंगामे के बीच शुक्रवार से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया और इसके साथ शुरू हो गईं देश की जनता की उम्मीदें। कोरोना काल के बाद आ रहे इस बजट में क्या होगा राहत मिलेगी या खर्चा बढ़ेगा इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं
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