बजट भाषण में सर्वाधिक शब्दः मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे।
डेलॉइट इंडिया के भागीदार गोकुल चौधरी ने कहा कि बजट से निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है जहां महंगाई के कारण खर्च करने योग्य आय पर असर पड़ा है।
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा, यह सप्ताह न केवल शेयर बाजार के लिए, बल्कि व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
बजट के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे काफी सारे तथ्य हमारे सामने आएंगे जो देश के बदलते आर्थिक हालात बतलाते हैं।
मोदी सरकार के बीते 8 साल का रिकॉर्ड देखें तो सरकार ने कई परंपरों को तिलांजलि दी है। आइए जानते हैं बजट में हुए इन बदलावों के बारे में
इस बार वित्त मंत्री की बजट पोटली से पांच अहम सेक्टर को बंपर सौगात मिल सकती है। जिन सेक्टर को इस बार बजट में खास तवज्जो मिलने की उम्मीद है उनमें कृषि, रियल एस्टेट, ऑटो (ईवी), मैन्युफैक्चिरिंग और हेल्थकेयर शामिल है।
आम बजट से ठीक पहले मोदी सरकार ने डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन को चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर नियुक्त किया है। उन्होंने शुक्रवार को अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया।
बजट देश के संविधान का एक अहम हिस्सा है, लेकिन बजट के साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होती हैं जिन्हें अक्सर हम नियम समझ लेते हैं।
बजट दस्तावेज में आम तौर पर संसद में किये जाने वाले वित्त मंत्री के भाषण, मुख्य बातें, वार्षिक वित्तीय विवरण, कर प्रस्तावों वाले वित्त विधेयक, वित्तीय विधेयक में प्रावधानों की व्याख्या करने वाला ज्ञापन और वृहत आर्थिक रूपरेखा ब्योरा शामिल होते हैं।
गैस उत्पादकों/आपूर्तिकर्ताओं को कई प्रकार के कर का सामना करना पड़ता है। प्राकर्तिक गैस पर कई राज्यों में बहुत अधिक वैट लगाया जाता है।
वर्तमान में सभी वित्तीय उत्पाद आयकर छूट की धारा(80सी) के तहत आती हैं और इसकी सीमा 1,50,000 रुपये है।
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि अगले सात दिन बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इसके पीछे वैश्विक और घरेलू धनाक्रम शामिल हैं जिनमें अमेरिकी फेड के फैसले और आम बजट है।
मांग बढ़ाने को लेकर अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना है कि कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर छोटे आय वर्ग पर हुआ है। रोजी-रोटी का संकट के चलते उनकी खरीदारी क्षमता लगभग खत्म हो गई है। देश की 40% आबादी सबसे बुरी तरह से प्रभावित है।
निर्यातकों के संगठन ने बजट में लॉजिस्टिक से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने और एमएसएमई को समर्थन के लिए भागीदारियों एवं एलएलपी पर आयकर में कटौती की भी मांग की है।
साल 2022 का बजट इस कोरोना संकट के बाद पेश हुआ दूसरा बजट होगा। ऐसे में इस बजट से लोगों को रोजगार के मोर्चे पर बड़े ऐलानों की उम्मीद है।
आम लोगों की इन उम्मीदों के पहाड़ पर बजट को खरा उतारने की वित्त मंत्री की बजट टीम इस बार उन्हें मिलाकर 6 लोग शामिल हैं।
चतुर्वेदी ने सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि बचत योजनाओं पर निचली ब्याज दरों की वजह से आज वरिष्ठ नागरिकों के पास सेवानिवृत्ति कोष काफी कम रहता है।
इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, फार्मा क्षेत्र में कारोबार सुगमता की स्थिति को सुगम करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए।
बजट में वित्त मंत्री Finance bill, Fiscal deficit, Balance of payments और Current account deficit जैसे शब्दों का उल्लेख करेंगी। लेकिन इनका मतलब हर किसी को समझ नहीं आता।
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