तेल की गिरती कीमतों के बीच ग्लोबल ऑयल मार्केट में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं। सऊदी अरब और अमेरिका के बाद दुनिया की निगाहें अब भारत पर टिकी है।
क्रूड की कीमतों में गिरावट और गहराती जा रही है। बुधवार को क्रूड 2003 के बाद पहली बार 27 डॉलर के नीचे फिसल गया। इस साल कीमत 25 फीसदी से अधिक गिर चुकी है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की चेतावनी से एशियाई बाजार में अमेरिकी क्रूड का भाव 28 डालर प्रति बैरल से नीचे आ गया। यह इसका 12 साल का नया निचला स्तर है।
ईरान से प्रतिबंध हटने के बाद भारी गिरावट का सामना कर रहे क्रूड ऑयल बाजार में कोहराम मच गया है। सोमवार को क्रूड ऑयल की कीमत 29 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई।
2016 के शुरूआत से अब तक कच्चा तेल करीब 20 फीसदी फिसल चुका है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकती हैं।
कच्चे तेल में लगातार आ रही नरमी ने आपके पेट्रोल डीजल के बिल में जरूर कमी कर दी है। लेकिन इससे खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतियों की मुश्किलें बढ़ा दी है।
सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव बढ़ने की वजह से बुधवार को ब्रेंट क्रूड 35 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इससे पेट्रोल-डीजल और सस्ता हो सकता है।
यूबीएस ने कहा कि उसे भारत को लेकर काफी उम्मीदें हैं। इस साल के अंत तक निफ्टी के 8,200 अंक तक पहुंचने का अनुमान है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेेल की कीमतों को लेकर असमंजस गहराने लगा है। विशेषज्ञ इस साल तेल की कीमतों में रिकवरी की उम्मीद लगा रहे हैं।
2015 में सऊदी अरब का बजट घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 98 अरब डॉलर पहुंच गया है। सरकार ने मंगलवार से पेट्रोल की कीमत 50 फीसदी से अधिक बढ़ाने की घोषणा की है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2016 भी कमोडिटी (सोना, चांदी और क्रूड) के लिए खराब रहने वाला है। हालांकि शेयर बाजार एक बार फिर गुलजार हो सकता है।
क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट और गहराती जा रही है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतें 11 साल के निचले स्तर पर फिसल गई। इसकी मुख्य वजह ओवर सप्लाई है।
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