रिस्क के हिसाब से बांड दो तरह के होते हैं। सिक्यॉर्ड बांड और अनसिक्यॉर्ड बांड। सिक्यॉर्ड बांड पूरी तरह से सेफ होते हैं और इनमें निवेश करना पूरी तरह से सुरक्षित है। इस तरह के बांड कोलेटरल के साथ आते हैं।
बॉन्ड एक फिक्स रिटर्न वाला इनकम सोर्स है। सरकारों के अलावा प्राइवेट कंपनियां भी बॉन्ड जारी करते हैं। जब सरकार या किसी प्राइवेट कंपनी को पैसों की जरूरत होती है तो वे बॉन्ड जारी करते हैं।
मिलेनियल्स में, कॉर्पोरेट बॉण्ड निवेश में महिलाओं की भागीदारी 2023 से 2024 के बीच 52 फीसदी बढ़ गई है। ये आंकड़े कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की तरफ महिला निवेशकों के बढ़ते झुकाव को दर्शाते हैं।
विदेशी निवेशकों की ओर से डेट मार्केट में बड़ी खरीदारी होने की वजह इस साल जून में जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को शामिल करना है। जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का वेटेज 10 प्रतिशत होगा।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, शोध प्रबंधक, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि की घोषणा ने इस बिकवाली को काफी हद तक बढ़ाया है।
देश की सॉलिड अर्थवस्वस्था और सरकारी नीतियों को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशकों ने इस साल जुलाई में कुल 32,365 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। हालांकि, अगस्त के शुरुआती दो दिनों में उन्होंने 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचकर पैसे निकाले हैं।
जून 2005 में इसके लॉन्च होने के बाद से भारत, सूचकांक में शामिल होने वाला 25वां बाजार बन गया है। इस इन्क्लुजन से भारतीय बॉन्ड बाजार में $20 अरब से $25 अरब मूल्य के ग्लोबल फ्लो होने का अनुमान है।
केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि यह पोर्टल रिजर्व बैंक की तरफ से नियामकीय मंजूरी देने से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं को सुगम बनाएगा। इसके अलावा आरबीआई ने ‘फिनटेक रिपॉजिटरी’ पहल की है।
How to invest in bonds : लॉन्ग टर्म वैल्थ क्रिएशन के लिए एसेट अलोकेशन बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट निवेशक के पोर्टफोलियो का एक हिस्सा होना चाहिए।
कंपनी को मजबूत कर्ज मांग और गैर-प्रमुख कारोबार में विस्तार के कारण चालू वित्त वर्ष के आखिर तक 5,000 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ में पहुंचने की उम्मीद है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड पर आकर्षक प्रतिफल के बावजूद घरेलू बाजारों की मजबूती की वजह से एफपीआई आक्रामक बिकवाली नहीं कर रहे हैं।
इंडियन बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ने की वजह जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाना और व्यापक रूप से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत परिदृश्य है।
बॉन्ड के अलावा विदेशी निवेशकों ने समीक्षाधीन अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 378 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, अक्टूबर और सितंबर महीने में एफपीआई ने निकासी की थी।
दरअसल ग्रीन बॉन्ड भी गवर्नमेंट की तरह होते है।बस इसमें अंतर यह होता है कि जो पैसे ग्रीन बॉन्ड में एकत्रित या निवेश किए जाते हैं उसका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ हरित और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं जैसे सौर, पन बिजली और पवन ऊर्जा जैसी परियोजनाओं में ही खर्च किया जाता है।
आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में जेपी मॉगर्न ने कहा था कि अगर भारत को वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया जाता है तो बीएसई सेंसेक्स दिसंबर 2023 तक 80,000 तक पहुंचने की उम्मीद है।
Bonds 17,000 Crore: IIFCL बॉन्ड जारी कर 17 हजार करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है। कंपनी इसे कई खेप में जारी करेगी। आइए कंपनी के पोर्टफोलियो पर एक नजर डालते हैं।
ट्रांजिशन बॉन्ड किसी कंपनी के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़ी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए जारी किए जाते हैं।
SEBI Share market News: बॉन्ड में निवेश करने का कोई विशेष समय नहीं होता है। आप जब चाहें इसमें निवेश कर सकते हैं। आप वर्ष में कभी भी बॉन्ड खरीदते हैं। अब इसमें सेबी ने कुछ बदलाव किया है। आइए जानते हैं।
Bond Market in World: सरकार को जब पैसों की जरूरत होती है तब वह एक निश्चित ब्याज दर पर बॉन्ड जारी करती है। यह सेम नियम प्राइवेट कंपनियों पर भी लागू होता है। आज के आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि लोन मार्केट में बॉन्ड ने अपनी जेम्सगिरी कैसे कायम की? इसकी शुरुआत कब हुई? आइए पन्ने पलटते हैं।
Fixed Deposit की ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने के बाद से सुरक्षित और अच्छे रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशकों के पास बैंक FD में निवेश करना एक बेहतर विकल्प बन गया है। हालांकि, बॉन्ड (Bond) में निवेश भी बेहतर रिटर्न के ऑप्शन के रूप में अपनी जरूरतों के आधार पर पूरा खरा उतरता है।
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