तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मेट्रो नेटवर्क की कुल मौजूदा लंबाई 118.9 किलोमीटर है, जिसमें 76.3 किलोमीटर का सेक्शन एलिवेटेड है जबकि 42.6 किलोमीटर अंडरग्राउंड ट्रैक शामिल हैं। इस ठेके के तहत पहले ट्रेन सेट की डिलीवरी जनवरी, 2027 में की जाएगी जबकि आखिरी ट्रेन सेट अप्रैल, 2029 तक मिलने की उम्मीद है।
बीईएमएल ने कहा कि ये प्रोजेक्ट भारत की हाई-स्पीड रेल के लिए मील का पत्थर साबित होगी, जिसमें 280 किलोमीटर प्रति घंटे की टेस्टिंग स्पीड के साथ पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई मेड इन इंडिया ट्रेन सेट शामिल हैं।
शेयरहोल्डरों को डिविडेंड देने के मामले में कंपनी का काफी तगड़ ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। बताते चलें कि इस सरकारी कंपनी ने अपने शेयरहोल्डरों को फरवरी 2024 में 5 रुपये का अंतरिम डिविडेंड, सितंबर 2023 में 5 रुपये का फाइनल डिविडेंड, फरवरी 2023 में 5 रुपये का अंतरिम डिविडेंड दिया था।
पिछले तीन साल में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और बीमा कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 500 प्रतिशत बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये से 58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इन कंपनियों में भारत सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी चार गुना होकर 38 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
सरकार के पास फिलहाल बीईएमएल में 54.03 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। मौजूदा बाजार मूल्य पर बीईएमएल में सरकार की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से करीब 1,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।
Disinvestment: वित्तीय बोलियां अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आने की उम्मीद है और तब तक शेयर खरीद समझौते के मसौदे को भी अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
फिलहाल कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत है। शेष 46 प्रतिशत हिस्सेदारी आम निवेशकों , बैंकों, विदेशी संस्थागत निवेशकों और कर्मचारियों के पास है।
खबरों के मुताबिक टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित 6 कंपनियां सरकारी कंपनी बीईएमएल में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद सकती है। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक हिस्सेदारी की दौड़ में भारत फोर्ज और मेघा इंजीनियरिंग भी शामिल हैं।
मौजूदा बाजार मूल्य पर 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से सरकारी खजाने को लगभग एक हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं। बीईएमएल के शेयर शुक्रवार को 974.25 रुपये पर बंद हुए। बीईएमएल रक्षा, रेल, बिजली, खनन और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में काम करती है।
सरकार ने रक्षा उपकरण बनाने वाली सार्वजनिक कंपनी BEML में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है। इस तरह से पहली प्रमुख कंपनी हो जाएगी।
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