सरकार ने दस राष्ट्रीयकृत बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है।
सरकार ने बैंकों से फंसे कर्ज यानी एनपीए के निपटान के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा। सरकार का मानना है कि बैंकों के पास और कोई विकल्प नहीं होने की स्थिति में ही उन्हें राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास जाना चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आफ इंडिया (बीओआई) ने खुदरा उत्पादों पर त्योहारी पेशकश की घोषणा की है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बैंक गृह ऋण रियायती दर पर दे रहा है। साथ ही बैंक ने कर्ज प्रसंस्करण या प्रोसेसिंग शुल्क भी नहीं लेने का फैसला किया है।
दृष्टिबाधित लोगों को नोटों की पहचान करने में मदद की योजना की दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और कदम बढ़ाया है। केंद्रीय बैंक ने मोबाइल एप बनाने के लिए कंपनी का चयन किया है। रिजर्व बैंक ने छह सितंबर को बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि इस प्रस्तावित मोबाइल एप्लिकेशन के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं होगी।
एसबीआई अपने सर्विस चार्ज में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इसमें बैंक में रुपया जमा करना, रुपया निकालना, चेक का इस्तेमाल, एटीएम ट्रांजेक्शन से जुड़े सर्विस चार्ज शामिल हैं। सर्विस चार्ज में बदलाव के संबंध में एसबीआई ने अपनी वेबसाइट पर एक सर्कुलर भी जारी कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस बात को लेकर काफी नाराज है कि बैंक रेपो रेट में काफी कटौती किए जाने के बाद भी ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं। रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
ईएसआईसी के सभी लाभार्थियों को एसबीआई उनके बैंक खाते में सीधे ई-भुगतान की सेवा देगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावि विलय से कर्मचारियों की नौकरी जाने के खतरे की चिंता को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि विलय के इन निर्णयों से किसी एक कर्मचारी की भी नौकरी नहीं जाएगी।
हड़ताल पर जाने को लेकर दिल्ली में 11 सितंबर को संघ की बैठक होगी।
विलय की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिस भी ग्राहक का इस विलय होने वाले बैंक में खाता, एफडी, निवेश, लोन चल रहा है तो उनके जीवन में कई बदलाव आ सकते हैं:
एक सितंबर 2019 यानी रविवार से देश में कई नियम बदल जाएंगे। जिसका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ेगा। सितंबर महीने से बैंकिग, ट्रैफिक, बीमा, टैक्स, आधार और पैन से जुड़े कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है। इनमें से कुछ आपको राहत देंगे तो कुछ आपकी सेविंग्स से होने वाले फायदे को कम करेंगे।
बैंक कर्मचारी संघों ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के फैसले का शुक्रवार को विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला उनकी समझ से परे हैं और इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखाई देता है।
आर्थिक सुस्ती को दूर करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 प्रमुख सरकारी बैंकों पीएनबी, केनरा, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक में छह अन्य बैंकों के विलय की घोषणा की। 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है।
सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह सरकारी बैंकों में 55,250 करोड़ रुपये डालेगी, ताकि कर्ज देने को बढ़ावा दिया जा सके और विलय किए जाने वाले कर्जदाताओं का विनियामक अनुपाल सुनिश्चित की जा सके। इससे पहले सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की थी।
सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की शुक्रवार को घोषणा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के मेगा मर्जर प्लान के दूसरे चरण को आगे बढ़ाते हुए कई बड़े ऐलान किए।
केंद्र सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों (पीएसबी) को मिलाकर चार बैंक बनाने की घोषणा की है। इसमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में मिला दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने 1971 के बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से सबसे बड़ी बैंकिंग सुधार की घोषणा की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। उनका कहा है कि सरकारी बैंकों में बड़े सुधार की जरुरत है। बैंकों ने अब कदम उठाने शुरू कर दिए है। 8 बड़े बैंकों ने अपनी ब्याज दरों रेपो रेट से जोड़ा है।
सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक आफ बड़ौदा नकदी की समस्या से जूझ रही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से मौजूदा तिमाही में करीब 6,000 करोड़ रुपये पूल किए हुए रिण खरीदने पर विचार कर रहा है। बैंक जून में समाप्त तिमाही में कई एबीएफसी से कुल मिला कर 3,500 करोड़ रुपये कर्ज को प्रतिभूतियों के रूप में खरीद चुका है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के बैंक फ्रॉड की जांच के लिए एडवायजरी बोर्ड फॉर बैंक फ्रॉड्स (एबीबीएफ) बोर्ड का गठन किया है। पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन को इस बोर्ड का प्रमुख बनाया गया है। यह बोर्ड जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा।
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