बैंकों की दबाव वाली संपत्तियों (NPA) के मामले में जारी नए नियमों में रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। यही वजह है कि बैंक लंबी अवधि के कर्ज, विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजक्ट्स) के लिए दिए जाने वाले कर्ज को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं।
SBI समेत कई बैंकों ने इलेक्ट्रोस्टील स्टील के खिलाफ एनसीएलटी में में इनसॉल्वेंसी की कार्रवाई शुरू कर दी है। कंपनी पर कुल 10,274 करोड़ रुपए का कर्ज है।
कों के फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने की दिशा में RBI ने कारवाई तेज कर दी है। RBI ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक बकाये कर्ज वाले 12 बैंक खातों की पहचान की।
ऊंचे डूबे कर्ज और कंपनियों की कमजोर मांग से बीते वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर (क्रेडिट ग्रोथ) छह दशक के निचले स्तर 5.08 प्रतिशत पर आ गई।
एक संसदीय समिति ने वित्त मंत्रालय से IDBI बैंक के लिए पुनरोद्धार योजना बनाने को कहा है। बैंक पर डूबे कर्ज का बोझ इस कदर बढ़ गया है।
RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि बैंकों के फंसे कर्ज के ऊंचा होने की समस्या पुराने कारणों से है। इनमें से ज्यादा तर पैसा ऐसी परियोजनाओं में फंसा है
सार्वजनिक क्षेत्र के 22 में से 16 बैंकों ने 2015-16 में लाभांश नहीं दिया। इससे सरकार को प्राप्तियां दो तिहाई घटकर 1,444.6 करोड़ रुपए के रह गईं।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने लगभग 900 कंपनियों की एक लिस्ट जारी की है जिसे उसने विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाली) श्रेणी में रखा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों की बैलेंस शीट साफसुथरा करना जरूरी है ऐसा होने पर ही आगे अधिक कर्ज सहायता देने में समर्थ होंगे।
2013 से 2015 के वित्तीय वर्षों के दौरान 29 बैंकों ने करीब 1.14 लाख करोड़ लोन दिया है, जिसे लोग चुकाने के मूड में नहीं है। दूसरे शब्दों में पैसे डूब गए हैं।
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