किसी भी एयरलाइंस की लागत इन्फ्रा आम तौर पर दो प्रमुख बातों- एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों और आईएनआर-यूएसडी मूवमेंट द्वारा संचालित होती है।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में हवाई यातायात इस साल जून की तुलना में कम था, जब 1.32 करोड़ यात्रियों ने उड़ान भरी थी।
रवरी में एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 12.2 प्रतिशत से बढ़कर 12.8 प्रतिशत हो गई, जबकि इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी जनवरी में 60.2 प्रतिशत से मामूली गिरावट के साथ 60.1 प्रतिशत रह गई।
सिविल एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए के आंकड़े से पता चलता है कि देश में फ्लाइट से घरेलू सफर करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एयरलाइन कंपनियों के बीच कॉम्पिटीशन भी तेज हुआ है।
भारत में फ्लाइट से सफर करने वालों की तादाद में कोविड के बाद लगातार तेजी का रुझान देखा जा रहा है। आने वाले समय में भारत सिविल एविएशन का बहुत बड़ा हब बन सकता है। अक्टूबर में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 11 प्रतिशत बढ़कर 1.26 करोड़ पर पहुंच गई।
सितंबर, 2023 में यह आंकड़ा 1.22 करोड़ यात्रियों का था। इंडिगो ने अक्टूबर महीने में 79.07 लाख यात्रियों ने सफर कराया। एयर इंडिया की डोमेस्टिट मार्केट में हिस्सेदारी बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गई।
मध्य रेलवे ने हाल ही में जेंडर और उम्र के आधार पर पैसेंजर्स का डाटा जुटाया है। रेलवे अब लंबी दूरी के लिए भी नई वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) ट्रेन लॉन्च करने वाला है।
कोरोना महामारी के दौरान विमानन कंपनियों को करीब 2 साल तक भारी घाटा उठाना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते करीब तीन साल में विमानन कंपनियों को 200 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ।
आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय घरेलू उड़ानों (नई शुरू हुई आकाश एयर को छोड़कर) ने स्थानीय रूट पर कुल 76.6 लाख यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया।
ग्लोबल एयरोस्पेस प्रमुख बोइंग ने अनुमान लगाया है कि भारत को अगले 20 वर्षो में 2,380 नए विमानों की जरूरत होगी, जिनकी कीमत 330 अरब डॉलर होगी।
हवाई सफर जल्द महंगा हो सकता है। दरअसल सरकार विमान यात्रियों द्वारा दिए जाने वाले पैसेंजर सर्विस फीस में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है।
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