उन्होंने बैठक के सत्र ‘स्थिरता के पीछे एक प्रेरक शक्ति के रूप में अनुसंधान’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कृषि अनुसंधान ने देश को खाद्यान्न आयातक से, निर्यातक के रूप में बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई हैं।
‘‘बंटवारे के कारण गांवों में जमीन की जोत छोटी हो रही है। देश के 80 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। ’’
देश के किसानों को ये खबर मुश्किल में डाल सकती है। अब गुड़ उत्पादन से हुई आय को कृषि संबंधी गतिविधि नहीं माना जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है और उद्यमियों से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने की अपील की है।
पूसा कृषि विज्ञान मेले के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में कोई सरकार किसानों को नुकसान पहुंचाने वाला कानून बनाने की गलती नहीं कर सकती
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को वर्ष 2021-22 के लिए 5.63 प्रतिशत अधिक यानी 1,31,531 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है और इसका आधा हिस्सा प्रधानमंत्री-किसान योजना पर खर्च किया जाएगा।
शुक्रवार को हुई हिंसा की घटना के बाद किसानों के धरने में किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सरकार आज 30 से अधिक किसान संगठनों के साथ वार्ता कर रही है।
लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं 13,500 से अधिक कंटेनर लुधियाना के पास ढंडारी में अटके हुए हैं वहीं प्रदर्शन का धान की फसल के उठान पर भी विपरीत असर पड़ा है और दिल्ली व राजपुरा में 60,000 बोरी का परिवहन नहीं हो सका है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को 2020- 21 की प्रमुख खरीफ फसलों का पहला अग्रिम उत्पादन का अनुमान जारी किया।
कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि खरीफ फसलों की बुवाई के काम पर महामारी का कोई असर नहीं पड़ा है और गर्मियों की फसलों की रिकॉर्ड क्षेत्र में फसल लगाई गई है।
अच्छी बारिश तथा बीज, कीटनाशक, उर्वरक, मशीनरी और ऋण जैसे जरूरी सामान का समय से पहले इंतजाम रखने के कारण महामारी की स्थिति के बावजूद भी खेती के रकबे के दायरे में वृद्धि संभव हुई है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने ड्रोन सहित आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये टिड्डियों के हमले को नियंत्रित किया है।
तीन फसलों ने ग्रामीण भारत में तीन लाख करोड़ रुपए की आमदनी पहुंचाई हैं।
केवीआईसी को 10-15 वर्षों में तैयार होने वाले चंदन के पेड़ों से 50 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है, जबकि बांस के पेड़ों से तीन साल बाद हर साल चार से पांच लाख रुपए मिलने का अनुमान है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 3 जुलाई तक देशभर में कुल 432.97 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 230.03 लाख हेक्टेयर में खेती हो पायी थी।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अबतक जो खेती हुई है उसमें तिलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले 6 गुना से भी ज्यादा आगे चल रहा है जबकि दलहन का रकबा 3 गुना आगे है।
विश्लेषक कंपनी फिच साल्युशन्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश के कृषि व्यापार के कैलेंडर वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में वापस गति पकड़ने की उम्मीद है।
यह विपणन की लागत को कम करेगा और किसानों की आय में सुधार करेगा।
तमाम मुश्किलों के बावजूद एक सेक्टर ऐसा है जहां पर पहले के मुकाबले ज्यादा रफ्तार से काम हो रहा है और वह है देश का कृषि सेक्टर। सरकार भी इस सेक्टर से बहुत ज्यादा उम्मीद लगाए बैठी है।
वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तीसरे हिस्से में कृषि क्षेत्र के लिए ऐलान किए
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