जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, बजट की तारीख पास आती जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को देश का बजट (Budget 2024) पेश करेंगी। साल चुनावी साल होने के चलते यह पूर्ण बजट नहीं होगा। फिर भी आम लोग, खासकर टैक्सपेयर्स इस बजट से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। जब भी देश का बजट पेश होता है, तो सबसे प्रमुख मांग टैक्सपेयर्स की ओर से उठती है। टैक्सपेयर्स हर बार यह उम्मीद करते हैं कि सरकार टैक्स में कुछ राहत दें। इस बार भी आम लोगों की वित्त मंत्री से कई मांगें है। आइए टैक्स से जुड़ी जनता की 4 उम्मीदों के बारे में जानते हैं।
80डी डिडक्शन लिमिट
टैक्सपेयर्स की डिमांड है कि सेक्शन 80डी के तहत इंडिविजुअल के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम में डिडक्शन लिमिट (80D deduction limit) 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की जाए। वहीं, सीनियर सिटीजंस के लिये इस लिमिट को बढ़ाकर 50 हजार से 75 हजार रुपये किया जाए। इसके पीछे महंगाई के चलते हेल्थकेयर खर्चों में बढ़ोतरी का तर्क दिया जा रहा है।
कैपिटल गेन टैक्स का सरलीकरण हो
मौजूदा कैपिटल गेन टैक्स रिजीम (capital gains taxation) की जटिलता निवेशकों को परेशान करती है। इसमें एसेट क्लास, होल्डिंग पीरियड, टैक्स रेट्स और निवास स्थिति जैसे कई फैक्टर्स कंसीडर करने होते हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स के वर्गीकरण को सुव्यवस्थित करना चाहिए। लिस्टेड और अनलिस्टेड सिक्युरिटीज के लिए टैक्स ट्रीटमेंट को एकीकृत करना चाहिए। साथ ही इंडेक्सेशन प्रावधानों को भी सरल बनाना चाहिए।
बेंगलुरु वाले कर रहे यह मांग
भारतीय संविधान के अनुसार बेंगलुरु को एक महानगर के रूप में मान्यता प्राप्त है। लेकिन इनकम टैक्स परपज के लिए बेंगलुरु को एक नॉन मेट्रो सिटी माना गया है। इससे यहां के लोगों के लिए एचआरए डिडक्शन 40 फीसदी तक सीमित है। जबकि यह मेट्रो सिटीज में 50 फीसदी तक मिलता है।
होम बायर्स के लिए टीडीएस के नियम हों आसान
इस समय 50 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीद पर 1 फीसदी टीडीएस काटा जाता है। यह प्रोसेस भारतीय निवासी सेलर्स के लिए थोड़ी आसान है। वे फॉर्म 26QB का उपयोग करके इसे पूरा कर सकते हैं। लेकिन एनआरआई सेलर्स के लिए यह प्रोसेस जटिल हो जाती है।