टैक्स की चोरी सिर्फ सरकारों के लिए ही नहीं बल्कि वहां के आम लोगों पर भी बुरा प्रभाव डालती हैं। इस मामले में भारत भी अछूता नहीं है। देश में होने वाली टैक्स चोरी, यहां की सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने मंगलवार को जीएसटी चोरी के संदिग्ध मामलों से निपटने के दौरान एंफोर्समेंट एक्शन और कारोबार सुगमता (Ease of Doing Business) के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया।
फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के सरगना पर रहेगी पैनी नजर
संजय मल्होत्रा ने राज्य और केंद्रीय जीएसटी स्ट्रक्चर से जुड़े प्रवर्तन प्रमुखों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के सरगना और लाभार्थियों पर नजर रखने की भी आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जा सके। फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन का पता लगाने के लिए चल रहे विशेष अभियान के बीच ये बैठक हुई है। पूरे देश में ये अभियान 16 अगस्त को शुरू हुआ और दो महीने तक जारी रहेगा।
टैक्स चोरी करने वालों से आगे की सोच रखने की जरूरत
आधिकारिक बयान के अनुसार, ''सचिव ने नियम लागू करने के एंफोर्समेंट एक्शन और कारोबार सुगमता के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।'' अपने संबोधन में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने एंफोर्समेंट एजेंसियों को टैक्स चोरी करने वालों से आगे की सोच रखने की जरूरत बताई ताकि जीएसटी सिस्टम का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
बड़े-बड़े विभागों के दिग्गजों ने भी लिया हिस्सा
सम्मेलन में राजस्व विभाग, सीबीआईसी, वाणिज्यिक कर आयुक्त, राज्यों के जीएसटी प्रवर्तन प्रमुखों और जीएसटीएन के सीईओ समेत अन्य सीनियर अधिकारी शामिल हुए। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई), वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू-आईएनडी) और केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) जैसे विभागों के अधिकारी भी इस अहम सम्मेलन में शामिल हुए।