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ITR फाइल करने से चूक गए! अब क्या होगा? यहां समझें आपके सामने क्या है विकल्प?

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि डेडलाइन के बाद रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए जुर्माने से कोई छूट नहीं दी जाती है। करदाताओं को आयकर रिटर्न जमा करने के बाद रिटर्न को सत्यापित करना नहीं भूलना चाहिए।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Aug 01, 2024 23:31 IST, Updated : Aug 01, 2024 23:31 IST
जब टैक्सपेयर 31 जुलाई के बाद आईटीआर दाखिल करते हैं, तो वे पुरानी कर व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट
Photo:FILE जब टैक्सपेयर 31 जुलाई के बाद आईटीआर दाखिल करते हैं, तो वे पुरानी कर व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट का अधिकार खो देते हैं।

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई निकल गई। 31 जुलाई, 2024 को शाम 7 बजे तक सात करोड़ से ज़्यादा आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किए जा चुके थे, लेकिन क्या आप उनमें से तो नहीं जो अपना आईटीआर फाइल करने से चूक गए हैं। अगर हां, तो अब क्या होगा? यहां बता दें, आपको इसके लिए बहुत घबराने की जरूरत नहीं है, आप लेट इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं।

लेट रिटर्न कर सकते हैं फाइल

आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 139(4) के तहत डिलेड रिटर्न, आखिरी तारीख बीत जाने के बाद दाखिल किया जाने वाला रिटर्न है। वैसे टैक्सपेयर्स 31 जुलाई या उससे पहले रिटर्न दाखिल करने में चूक रहे हैं, वे लेट रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। लोगों को संबंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर तक विलंबित रिटर्न दाखिल करने की अनुमति है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि डेडलाइन के बाद रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए जुर्माने से कोई छूट नहीं दी जाती है।

चूकने पर इन बातों का करना पड़ता है सामना

  • 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी करने पर ₹5,000 का जुर्माना लगता है। लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, जिन छोटे टैक्सपेयर्स की आय ₹5 लाख से कम है, उन्हें समय सीमा के बाद कर रिटर्न दाखिल करने पर ₹1,000 का जुर्माना देना पड़ता है।
  • जब कोई कर देयता होती है, तो टैक्सपेयर्स को आयकर अधिनियम की धारा 234ए के तहत 1 अगस्त से टैक्स पेमेंट की तारीख तक 1 प्रतिशत प्रति माह की दर से जुर्माना देना पड़ता है।
  • जब टैक्सपेयर 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते हैं, तो वे पुरानी कर व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट का अधिकार खो देते हैं।
  • 31 जुलाई की समय सीमा चूकने का मतलब है पुरानी टैक्स व्यवस्था से जुड़े लाभों को खोना क्योंकि करदाताओं को नई कर व्यवस्था में स्थानांतरित कर दिया जाएगा क्योंकि यह डिफ़ॉल्ट विकल्प है।
  • एक बार जब आप आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख से चूक जाते हैं, तो आपको पूंजीगत घाटे को अगले वर्षों में आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं होती है।
  • 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने वाला कोई भी व्यक्ति नई कर व्यवस्था में चला जाता है, जिसमें वह धारा 80सी और 80डी के तहत कटौती और छूट का अधिकार खो देता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि करदाताओं को आयकर रिटर्न जमा करने के बाद रिटर्न को सत्यापित करना नहीं भूलना चाहिए।

 

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