Taxation on Mutual Funds Return: भारतीय शेयर बाजार में लंबे समय से गिरावट जारी है। आज हफ्ते के पहले दिन सोमवार को भी बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। शेयर बाजार में चल रही इस गिरावट की वजह से निवेशकों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। मार्केट में जारी इस गिरावट की वजह से निवेशकों के म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो पर भी बुरा असर पड़ रहा है। हालांकि, इस नुकसान के बावजूद म्यूचुअल फंड निवेशक जमकर पैसा लगा रहे हैं। पिछले कुछ समय से, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
टैक्स के नियमों के बारे में अच्छी तरह से जान लेना जरूरी
जहां एक तरफ देश में नौकरीपेशा महिलाएं म्यूचुअल फंड में निवेश कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर कई पुरुष अपनी पत्नी के नाम से निवेश कर रहे हैं। अगर आप भी अपनी वाइफ के नाम से म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको टैक्स के नियमों के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए।
म्यूचुअल फंड से मिलने वाले रिटर्न पर चुकाना होता है कैपिटल गेन्स टैक्स
म्यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए किए जाने वाले निवेश पर जो रिटर्न मिलता है, इस पर कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। कैपिटल गेन्स टैक्स दो तरह से क्लासिफाई किए गए हैं। अगर आप एक साल के अंदर अपने इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स बेचकर पैसा निकालते हैं तो आपको 20 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा। अगर आप 1 साल के बाद पैसा निकालते हैं तो आपको 12.5 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा। डेट फंड्स पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है।
टैक्स स्लैब के हिसाब से क्या हैं नियम
म्यूचुअल फंड के मामले में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए टैक्स के नियम एक जैसे हैं। New Tax Regime के अनुसार महिलाओं की सालाना 3 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री है। वहीं Old Tax Regime के अनुसार महिलाओं (60 साल से कम) की सालाना 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री है।