आपने बड़े बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि अगर घर में सोना रखा हो तो कभी रोना नहीं पड़ता। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सोना विपरीत समय में काफी काम आता है। सिर्फ परिवारों के लिये ही नहीं, बल्कि देशों के साथ भी ऐसा ही है। जब भी दुनिया में भू-राजनीतिक या आर्थिक संकट आने लगते हैं। सेंट्रल बैंक्स सोना जमा करना शुरू कर देते हैं। इसी तरह लोगों के लिए भी सोना निवेश का एक अच्छा विकल्प है। पिछले कुछ वर्षों से सोने ने शानदार रिटर्न दिया है। इस समय देश में सोने का घरेलू वायदा भाव 75,585 रुपये प्रति 10 ग्राम पर है। सोने में निवेश पर टैक्स भी लगता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
फिजिकल गोल्ड और डिजिटल गोल्ड पर टैक्स
फिजिकल गोल्ड और डिजिटल गोल्ड दोनों में एक तरह से टैक्स लगता है। अगर यह खरीदने के 3 साल के बाद बेचा जाता है, तो इस पर 20 फीसदी+8 फीसदी सेस के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। वहीं, अगर इसे खरीदने के 3 साल के अंदर बेच दिया जाता है, तो गेन्स आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को अगर आप खरीदने के 3 साल के अंदर सैकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो इन पर आपकी स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा। लेकिन अगर आप इन्हें तीन साल होल्ड करने के बाद बेचते हैं, तो इन पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। वहीं, अगर आप इन्हें मैच्योरिटी तक रखते हैं, तो इन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी अवधि 8 साल की होती है और 5 साल बाद इनमें अर्ली रिडेम्पशन का ऑप्शन भी मिलता है। इन बॉन्ड्स पर मिलने वाली 2.5 फीसदी की एनुअल इनकम पर टैक्स निवेशक के स्लैब के मुताबिक लगता है।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
गोल्ड ईटीएफ पर होने वाली इनकम पर निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।