जीएसटी कलेक्शन के मामले में जुलाई 2024 शानदार रहा। जुलाई में जीएसटी कलेक्शन तीसरे सबसे ऊंचे स्तर पर दर्ज किया गया। यह कलेक्शन 10.3 प्रतिशत बढ़कर 1.82 लाख करोड़ रुपये हुआ। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यह अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के 7 साल पहले 1 जुलाई, 2017 को लागू होने के बाद से अब तक का तीसरा सबसे अधिक मंथली कलेक्शन है। आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में कुल रिफंड 16,283 करोड़ रुपये रहा।
रिफंड एडजस्ट करने के बाद नेट कलेक्शन
खबर के मुताबिक, रिफंड एडजस्ट करने के बाद शुद्ध वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो 14.4 प्रतिशत की वृद्धि है। सकल जीएसटी राजस्व 1,82,075 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 32,386 करोड़ रुपये का केंद्रीय जीएसटी, 40,289 करोड़ रुपये का राज्य जीएसटी और 96,447 करोड़ रुपये का एकीकृत जीएसटी शामिल है। क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह 12,953 करोड़ रुपये रहा। राजस्व घरेलू गतिविधियों से प्राप्त करों से प्रेरित था, जो जुलाई में 8.9 प्रतिशत बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रुपये हो गया। आयात से राजस्व 14.2 प्रतिशत बढ़कर 48,039 करोड़ रुपये हो गया।
सकल जीएसटी राजस्व
सकल जीएसटी राजस्व अप्रैल 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया,पिछला उच्च स्तर अप्रैल 2023 में था जब यह 1.87 लाख करोड़ रुपये था। जुलाई 2024 में 1.82 लाख करोड़ रुपये का संग्रह अब तक का तीसरा सबसे अधिक संग्रह है। इस वित्त वर्ष (अप्रैल-जुलाई) में अब तक संग्रह 10.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 7.39 लाख करोड़ रुपये हो गया है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि सकल जीएसटी राजस्व में 10.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, लेकिन यह देखना दिलचस्प है कि आयात से जीएसटी राजस्व में वृद्धि घरेलू आपूर्ति से अधिक है।
टैक्स कलेक्शन में और ग्रोथ देखने को मिल सकती है
भारत में केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर के राष्ट्रीय प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष संग्रह में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि उम्मीदों के मुताबिक है और भारत में जीएसटी कार्यान्वयन की स्थिरता और परिपक्वता के संकेत दर्शाती है। जैन ने कहा कि अगले कुछ महीनों में त्योहारों के आने के साथ ही टैक्स कलेक्शन में और ग्रोथ देखी जानी चाहिए। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि डेटा नागालैंड, मणिपुर, अंडमान और निकोबार और लद्दाख से कर संग्रह में वृद्धि दर्शाता है, जो भारत के इन विकासशील क्षेत्रों में बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि और खपत का संकेत देता है।