मौजूदा समय में हम सभी ऑनलाइन आयकर रिटर्न भरते हैं। बहुत सारे टैक्सपेयर्स अब खुद से ऑनलाइन रिटर्न भरने लगे हैं। ऐसा इसलिए कि ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भरना अब पहले से अधिक सरल हो गया है, लेकिन इसमें थोड़ी सी चूक आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। कई दफा रिटर्न फॉर्म भरते समय गलती हो जाती है, जिसके चलते रिटर्न गलत हो जाता है और उसमें संशोधन करना पड़ता है। ऑनलाइन रिटर्न भरते समय यदि हम सजग और सावधान रहें तो इन छोटी-मोटी गलतियों से बच सकते हैं। मनीभास्कर आपको बता रहा है कि ऑनलाइन रिटर्न भरने में कहां-कहां गलती होने की गुंजाइश होती है और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
यहां होती है सबसे अधिक गलती
रिटर्न भरने में करदाता को PAN नंबर, जन्म तिथि, एड्रेस, बैंक अकाउंट का ब्योरा, टैक्स छूट ब्योरा, एसेसमेंट ईयर का चयन, एसेसमेंट टैक्स का चालान आदि की जानकारी देनी होती है। सबसे अधिक गलती इन्हीं जानकारियों को भरने में होती है। आमतौर पर करदाता इसको बड़ी सहजता से लेता है और खुद से जुड़ी जानकारी देने में गलती कर बैठता है। कई दफा देखा गया है कि करदाता बैंक अकाउंट नंबर ही गलत फीड कर देता है। रिटर्न भरते समय यह जरूर जांच लें कि बैंक अकाउंट नंबर और आईटीआर फॉर्म में डाला गया नंबर एक ही है। इसके साथ ही फॉर्म में दी गई जानकारी को भी एक बार क्रॉस चेक जरूर कर लें।
आय का पूरा ब्योरा नहीं देना
रिटर्न भरते समय करदाता अपनी आय से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं देते हैं। इसकी वजह यह भी होती है कि करदाता सिर्फ कर योग्य आय की ही जानकारी देना जरूरी समझता है जबकि ऐसा नहीं है। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय करदाता को कर योग्य आय और कर छूट वाली आय की भी जानकारी देनी चाहिए। कुछ अन्य स्रोतों जैसे शेयर और म्युचुअल फंड यूनिट सेल से होने वाला आय और सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली आमदनी की जानकारी भी रिटर्न में देनी जरूरी है। अगर, सेविंग अकाउंट पर 10,000 रुपये से अधिक ब्याज मिलता है तो यह करयोग्य आय होती है। एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी कर योग्य माना जाता है।
रिटर्न भरने से पहले करदाता को फॉर्म 26एएस से आय और टैक्स की पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। अगर, कोई बेमेल है तो आयकर विभाग से संपर्क करना चाहिए। आयकर विभाग के अनुसार सही जानकारी नहीं देने के कारण टैक्स की गणना करने में गलतियां होती हैं। करदाता अक्सर प्रॉपर्टी से हुई आय की जानकारी देना भूल जाता है। अगर, करदाता के पास एक से अधिक प्रॉपर्टी है और उससे किराए के रूप में आय होती है तो इसपर कर देना होता है। रिटर्न भरते समय करदाता को इसकी भी जानकारी देना जरूरी है।
गलत फॉर्म का चयन
अमूमन करदाता रिटर्न भरते समय गलत फॉर्म का चयन कर लेता है। इससे बचने के लिए करदाता को आय का स्रोत और फॉर्म की जानकारी पहले ले लेनी चाहिए। अगर, करदाता की आय का स्रोत सिर्फ सैलरी है तो इसके लिए आईटीआर-1 फॉर्म है। अगर सैलरी के साथ कैपिटल गेन भी होता है ताे उसके लिए आईटीआर-2 है। इन गलतियों को नजरअंदाज कर देने पर आयकर विभाग की ओर नोटिस मिलने का चांस बढ़ जाता है, जिससे बाद में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए आयकर रिटर्न भरते ही सावधानी बरतना सही होता है।