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7 लाख रुपये से कम है सालाना इनकम तो क्या ITR भरना जरूरी? जानें क्या कहता है नियम

टैक्स एक्सपर्ट के मुताबि​क, अगर किसी टैक्स पेयर की कुल सालाना आय, इनकम टैक्स की छूट सीमा से अधिक है तो उसके लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: June 18, 2024 17:03 IST
ITR- India TV Paisa
Photo:FILE आईटीआर

फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए इनकम ​टैक्स रिटर्न भरने की शुरुआत हो गई है। इस बार टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 87A के तहत ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये और न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री है। वहीं, इससे अधिक आय वाले के लिए इनकम टैक्स भरना अनिवार्य है। अब सवाल उठता है कि अगर आपकी सालाना आय 7 लाख रुपये से कम है तो क्या इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है? टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की सालाना इनकम 3 लाख रुपये से अधिक है तो उसे रिटर्न फाइल करना जरूरी है। हालांकि, उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा। 7 लाख रुपये तक की आय पर जीरो टैक्स का प्रावधान है। 

किसे ITR दाखिल करना चाहिए? 

टैक्स एक्सपर्ट के मुताबि​क, अगर किसी टैक्स पेयर की कुल सालाना आय, इनकम टैक्स की छूट सीमा से अधिक है तो उसके लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है। 

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ओल्ड टैक्स्पु रिजीम में विभिन्न श्रेणियों के लिए छूट सीमा इस प्रकार है:

  • 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति: 2.5 लाख रुपये
  • 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति: 3 लाख रुपये
  • 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति: 5 लाख रुपये तक 
  • वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में सभी उम्र के टैक्सपेयर के लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा 3 लाख रुपये तय की गई है। 

उदाहरण से समझते हैं:

उदाहरण 1: मान लीजिए कि आपकी कुल कर योग्य आय 4.25 लाख रुपये है। चूंकि यह आय आपके द्वारा चुनी गई कर व्यवस्था के आधार पर 5 लाख या 7 लाख रुपये से कम है, इसलिए आपको कोई आयकर नहीं देना होगा क्योंकि आपको धारा 87A के तहत कर छूट मिलेगी। हालांकि, आपको अभी भी ITR दाखिल करने की आवश्यकता है क्योंकि आपकी सकल कुल आय पुरानी कर व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये से अधिक है और नई कर व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये से अधिक है।

उदाहरण 2: मान लीजिए कि आप वेतनभोगी व्यक्ति हैं और आपकी सकल कर योग्य आय 7.5 लाख रुपये है और आप 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। सभी कटौतियों और छूट के बाद आपको कोई आयकर नहीं देना होगा; हालांकि, आपको अभी भी ITR दाखिल करना होगा।

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