नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। अगर आप भी रिटर्न फाइल करने की तैयारी में हैं तो सबसे पहले इन दस्तावेजों को इकट्ठा कर लें, क्योंकि इनके बिना रिटर्न सही ढंग से भरना संभव नहीं होगा।
फॉर्म 16
अगर आप नौकरीपेशा हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए यह सबसे जरूरी चीज है। फॉर्म 16 टीडीएस सर्टिफिकेट होता है। आप जिस कंपनी में काम करते हैं वह कंपनी आपको फॉर्म 16 मुहैया कराती है।
फॉर्म 16 पार्ट ए और पार्ट बी में होता है। पार्ट ए में कंपनी द्वारा काटे गए कुल टैक्स की जानकारी होती है। इसमें आपके पैन और कंपनी के टैन की भी जानकारी होती है। पार्ट बी में आपकी ग्रॉस सैलरी का ब्रेकअप होता है। इस साल आपके फॉर्म 16 में 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल रहेगा। अगर आपको कंपनी से कोई अलाउंस मिला होगा तो वह भी आपकी टैक्सेबल इनकम का हिस्सा होगा।
बैंकों और पोस्टऑफिस से इंटरेस्ट सर्टिफिकेट
इस साल आईटीआर फॉर्म में टैक्सपेयर्स से इंटरेस्ट इनकम का सोर्स भी पूछा जा रहा है। यानी आपको यह बताना होगा कि इंटरेस्ट इनकम सेविंग्स अकाउंट से हुई है या एफडी से। अगर कोई अदर इनकम है तो उसकी भी जानकारी देनी होगी।
सामान्य तौर पर इंटरेस्ट इनकम टैक्सेबल होती है। लेकिन इनकम टैक्स की धारा 80TTA के तहत 10,000 रुपए के इंटरेस्ट इनकम पर छूट मिल सकती है। ठीक इसी तरह सीनियर सिटिजंस के लिए 50,000 रुपए तक के ब्याज पर छूट है।
अगर आपके पास इंटरेस्ट सर्टिफिकेट नहीं है तो 31 मार्च 2019 तक अपना अकाउंट पासबुक अपडेट रखें। अगर आपको इंटरेस्ट इनकम पर बैंक से टीडीएस सर्टिफिकेट मिला है तो इसमें भी यह जानकारी दी होगी कि आपको कितना ब्याज मिला है। आपको जरूरी जानकारियां इससे भी मिल जाएंगी।
फॉर्म 16A, फॉर्म 16B और फॉर्म 16C
सैलरी के अलावा अन्य आमदनी जैसे FD, रेकरिंग डिपॉजिट या इंटरेस्ट पर भी टीडीएस कटता है। जब बैंक आपका टीडीएस काटता है तो वह 16A में इसकी जानकारी मुहैया कराता है। दूसरी तरफ, अगर आपने अपनी प्रॉपर्टी बेची है खरीदार फॉर्म 16B फॉर्म जारी करता है। इस फॉर्म से यह पता चलता है कि खरीदार ने आपको जो रकम दी है उसपर वह डीटीएस दे चुका है।
अगर आप मकान मालिक हैं तो आप अपने किराएदार से फॉर्म 16 ले सकते हैं। इसमें यह डिटेल होगा कि किराएदार आपको जो किराया दे रहा है उसपर टीडीएस चुका रहा है या नहीं। मौजूदा नियम के मुताबिक, अगर मंथली रेंट 50,000 रुपए से ज्यादा है तभी उस पर टीडीएस कटता है। इसके अलावा आप टीडीएस डिटेल के लिए 26AS भी चेक कर सकत हैं।
फॉर्म 26AS
यह फॉर्म पूरे सालभर का टैक्स स्टेटमेंट है। इस फॉर्म में कई जानकारियां होती हैं। जैसे आपकी कंपनी की तरफ से काटा गया टीडीएस, बैंक की तरफ से काटा गया टीडीएस, किसी और संस्था से आपको मिल पैसे पर काटा गया टीडीएस, वित्त वर्ष 2018-19 में अगर आपने एडवांस टैक्स चुकाया हो तो उसकी भी जानकारी इसमें रहेगी। सेल्फ असेसमेंट के बाद अगर आपने कोई टैक्स चुकाया है तो वह भी इसमें शामिल होगा।
टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट प्रूफ
वित्त वर्ष 2018-19 के तहत आपने टैक्स सेविंग के लिए जो भी बचत की है उसका सबूत आपको देना होगा। ये बचत आप 80C, 80CCC और 80CCD(1) के तहत कर सकते हैं। इन तीनों सेक्शन को मिलाकर आप ज्यादा से ज्यादा 1.50 लाख रुपए की बचत कर सकते हैं।
80C सेक्शन में आते हैं ये
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस), जीवन बीमा प्रीमियम, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), होम लोन का प्रिंसीपल एमाउंट चुकाना और बच्चे की ट्यूशन फीस।
80D से 80U तक के सेक्शन में ऐसे करें क्लेम
अगर आप अपने, अपने पति या पत्नी और बच्चों के हेल्थ इंश्योरंस के लिए प्रीमियम चुकाते हैं तो 80D में आपको टैक्स छूट का फायदा मिलेगा। इसमें आप सालभर में अधिकतम 25,000 रुपए के टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं।
अगर आपने अपने पैरेंट्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लिया है तो उम्र के हिसाब से 25,000 रुपए या 50,000 रुपए के प्रीमियम पर टैक्स छूट मिल सकता है। अगर आपके पैरेंट्स की उम्र 60 साल से कम है तो 25,000 रुपए तक के प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलेगा। 60 साल से ज्यादा उम्र है तो 50,000 रुपए के प्रीमियम पर टैक्स छूट का फायदा मिलेगा।
अगर आपने एजुकेशन लोन लिया है तो उसके इंटरेस्ट पर भी टैक्स छूट का फायदा मिलेगा। यह फायदा 80E के तहत मिल सकता है। एजुकेशन लोन में इंटरेस्ट की कोई मैक्सिमम लिमिट नहीं है। आप जितना भी ब्याज चुकाएंगे आपको टैक्स क्लेम का फायदा मिलेगा। इसके लिए आपको अपने बैंक से इंटरेस्ट पेड सर्टिफिकेट लेना होगा।
होम लोन स्टेटमेंट
अगर आपने होम लोन लिया है तो होम लोन स्टेटमेंट लेना ना भूलें। इससे यह पता चलेगा कि आपने पिछले एक साल में कितनी रकम प्रिंसिपल और कितनी रकम ब्याज के तौर पर चुकाई है।
आप होमलोन के ब्याज पर सेक्शन 24 के तहत टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं। इस सेक्शन में आप अधिकतम 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं। आपको आईटीआर फाइल करते हुए यह बताना होगा कि आप उस घर में रहते हैं या वो घर खाली है।
ECS रिफंड के लिए बैंक अकाउंट का प्री-वैलिडेशन
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐलान किया है कि 1 मार्च 2019 से वह सिर्फ ई-रिफंड करेगा। यह रिफंड सीधे आपके उस बैंक खाते में आएगा जो पैन से लिंक्ड हो। इसके लिए आपको अपने बैंक खातों को प्री-वैलिडेट करना होगा।