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करदाताओं के लिए राहत, आयकर रिटर्न फॉर्म में बड़े लेनदेन की जानकरी देना नहीं होगा जरूरी

आयकर विभाग उस जानकारी के आधार पर यह जांच करता है कि अमुक व्यक्ति ने अपना कर सही से चुकाया है या नहीं। इस जानकारी का उपयोग ईमानदार करदाताओं की जांच के लिए नहीं होता।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : August 18, 2020 8:52 IST
Taxpayers not required to disclose high-value transactions in ITR- India TV Paisa
Photo:THEHINDU

Taxpayers not required to disclose high-value transactions in ITR

नई दिल्ली। करदाताओं को अपने आयकर रिटर्न फार्म में बड़े मूल्य के लेनदेन के बारे में जानकारी नहीं देनी होगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। घटनाक्रम से जुड़े अधिकारिक सूत्रों ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आयकर रिटर्न फॉर्म में बदलाव का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। अधिकारियों से इस संबंध में आई कुछ रिपोर्टों के बारे में पूछा गया था। इन रिपोर्टों के मुताबिक 20,000 रुपए से अधिक के होटल भुगतान, 50,000 रुपए से अधिक के जीवन बीमा प्रीमियम भुगतान, 20,000 रुपए से अधिक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भुगतान, स्कूल या कॉलेज को साल में एक लाख रुपए से अधिक का अनुदान इत्यादि जैसे वित्तीय लेनदेन की जानकारी देने के लिए रिटर्न फॉर्म का विस्तार किए जाने का प्रस्ताव है।

सूत्रों ने कहा कि वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी का विस्तार किए जाने का मतलब होगा कि आयकर विभाग को इस प्रकार के ऊंचे मूल्य वाले लेनदेन की जानकारी वित्तीय संस्थान देंगे। आयकर कानून के हिसाब से केवल तीसरा पक्ष ही इस तरह के लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देता है। आयकर विभाग उस जानकारी के आधार पर यह जांच करता है कि अमुक व्यक्ति ने अपना कर सही से चुकाया है या नहीं। इस जानकारी का उपयोग ईमानदार करदाताओं की जांच के लिए नहीं होता।

अधिकारी ने कहा कि आयकर रिटर्न फॉर्म में किसी तरह के बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है। करदाता को आयकर रिटर्न फॉर्म में उसके ऊंचे मूल्य के लेनदेन की जानकारी देने की आवश्यकता नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि अधिक मूल्य के लेनदेन के माध्यम से करदाताओं की पहचान करना एक बिना दखल वाली प्रक्रिया है। इसके तहत ऐसे लोगों की पहचान की जाती है जो कई तरह का सामान खरीदने में बड़ा धन खर्च करते हैं और उसके बावजूद आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करते या फिर अपनी सालाना आय 2.5 लाख रुपए से कम दिखाते हैं। ऐसे खर्चो में बिजनेस श्रेणी की हवाई यात्रा, विदेश यात्रा, बड़े होटलों में काफी पैसा खर्च करना और बच्चों को महंगे स्कूल में पढ़ाना इत्यादि शामिल है।

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि आयकर कानून में पहले से ही ऊंचे लेनदेन के लिए पैन संख्या या आधार संख्या देने का प्रावधान किया गया है। इस तरह के ऊंचे लेनदेन के बारे में संबंधित कंपनी या तीसरा पक्ष आयकर विभाग को सूचित करता है। यह प्रावधान मुख्य तौर पर कर आधार को व्यापक बनाने के उद्देश्य से किया गया है। सूत्रों का कहना है कि यह सच्चाई सबके सामने है कि भारत में लोगों का एक छोटा वर्ग ही कर का भुगतान करता है, और वह सब लोग जिन्हें कर का भुगतान करना है वास्तव में कर नहीं चुका रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि ऐसे में आयकर विभाग को कर प्राप्ति क लिए स्वैच्छिक कर अनुपालन पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में तीसरे पक्ष से जुटाई गई वित्तीय लेनदेन का ब्योरा ही बिना किसी हस्तक्षेप के कर अपवंचकों का पता लगाने का सबसे प्रभावी तरीका है।

 

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