नई दिल्ली। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रविवार को कहा कि आकलन वर्ष 2020-21 (वित्त वर्ष 2019-20) के लिए 26 दिसंबर, 2020 तक 4.15 करोड़ से अधिक करदाताओं ने अपने आयकर रिटर्न दाखिल कर दिए हैं। व्यक्तिगत श्रेणी में आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा नजदीक आने के साथ ही आयकर विभाग ने लोगों से कहा है कि अंतिम समय की हड़बड़ी से बचने के लिए अपने रिटर्न पहले ही दाखिल कर दें।
विभाग ने ट्वीट कर बताया कि 26 दिसंबर 2020 तक आकलन वर्ष 2020-21 के लिए 4.15 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं। आशा है कि आपने भी अपना रिटर्न दाखिल कर दिया होगा। इसमें से 2.34 करोड़ से अधिक करदाताओं ने आईटीआर-1 दाखिल किया है, जबकि 89.89 लाख से अधिक ने आईटीआर-4, 49.72 लाख ने आईटीआर-3 और 30.36 लाख ने आईटीआर-2 फाइल किया है।
व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा 31 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो रही है। उन करदाताओं के लिए जिनके एकाउंट को ऑडिट करने की जरूरत है उनके लिए रिटर्न फाइल करने की अंतिम समयसीमा 31 जनवरी, 2021 तक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते विभाग ने रिटर्न फाइल करने की अंतिम समयसीमा पहले 31 जुलाई तय की थी, बाद में उसे बढ़ाकर 31 अक्टूबर और फिर 31 दिसंबर कर दिया गया।
वित्त वर्ष 2018-19 (आकलन वर्ष 2019-20) के लिए लेस फीस के बिना अंतिम समयसीमा तक करदाताओं द्वारा कुल 5.65 करोड़ आईटीआर फाइल किए गए थे। पिछले साल अंतिम समयसीमा 31 अगस्त, 2019 थी। तुलनात्मक आंकड़े जारी करते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा कि 26 अगस्त, 2019 तक कुल 4.14 करोड़ आईटीआर फाइल किए गए थे, जबकि 26 दिसंबर, 2020 तक कुल 4.15 करोड़ आईटीआर फाइल हो चुके हैं।
आईटीआर-1 सहज में रिटर्न सामान्य भारतीय नागरिक द्वारा भरा जाता है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है। आईटीआर-4 सुगम भारतीय व्यक्तियों, हिंदु अविभाजित परिवार और कंपनियों (एलएलपी को छोड़कर) द्वारा भरा जाता है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है और कारोबार एवं पेशे से अनुमानित आय होती है।
आईटीआर-3 और 6 को व्यवसायों द्वारा और आईटीआर-2 को उन लोगों द्वारा भरा जाता है जिन्हें रिहायशी संपत्ति से आय प्राप्त होती है। आईटीआर-5 एलएलपी और एसोसिएशन ऑफ पर्संस (एओपी) द्वारा भरा जाता है। आईटीआर-7 को धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए या पूरी तरह से इन उद्देश्यों के लिए ट्रस्ट या अन्य कानूनी दायित्व के तहत रखी गई संपत्ति से प्राप्त आय वाले व्यक्ति द्वारा भरा जाता है।