नई दिल्ली। आयकर आकलन के लिए टीडीएस निदेशालय द्वारा सूचनायें जुटाने के उद्देश्य से सर्वे की कार्रवाई प्रधान मुख्य आयुक्त अथवा मुख्य आयुक्त स्तर के अधिकारी की मंजूरी के बाद ही की जा सकेगी। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अधिकारियों को इस आशय के निर्देश जारी किए हैं। सीबीडीटी ने कहा है कि जहां कहीं भी विभाग की जांच करने वाले ‘‘केन्द्रीय सर्किल’’ (जांच एवं जब्ती सहित), अंतरराष्ट्रीय सर्किल, एनईएसी (राष्ट्रीय ई- आकलन केन्द्र) अथवा राष्ट्रीय चेहरा रहित आकलन केन्द्र (एनएफएसी) के तहत सर्वे की कार्रवाई की आवश्यकता है उसके लिये पहले उच्च स्तरीय अधिकारियों के एक समूह द्वारा मंजूरी जरूरी होगी। यह निर्दश धारा 133ए के तहत जारी किया गया है।
सीबीडीटी ने ‘कराधान एवं अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में राहत एवं संशोधन) अधिनियम 2020 प्रभावी बनाते हुए यह कदम उठाया है। आयकर सर्वे के लिए अधिकारी करदाताओं के ठिकानों पर जा कर उनके लेखा खातों, इलेक्ट्रानिक साधनों में रखी गई सूचनाओं को खंगालते हैं। आयकर कानून की धारा 1ए के तहत टीडीएस निदेशालय द्वारा कोई सर्वे उसके खुद के अधिकारी द्वारा ही किया जायेगा। सीबीडीटी ने कहा है, ‘‘जहां क्षेत्र के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (सीसीआईटी) अथवा मुख्य आयकर आयुक्त (टीडीएस) द्वारा टीडीएस सर्किल का नेतृत्व किया जा रहा है, वहां सर्वे की कारवाई का काम क्षेत्र के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त अथवा मुख्य आयकर आयुक्त (टीडीएस) द्वारा मंजूर किया जाना चाहिये। जैसा भी मामला हो उसके तहत सर्वेक्षण का काम टीडीएस निदेशालय के अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिये।’’ सीबीडीटी के मुताबिक सर्वेक्षण का काम केवल जांच विभाग के अधिकारियों अथवा टीडीएस निदेशालय के अधिकारियों द्वारा ही किया जाना चाहिये। यह कदम तभी उठाया जाना चाहिये जब ब्योरा हासिल करने, आनलाइन रिकवरी जैसे अन्य सभी तरीके अपनाये जा चुके हों और उनसे कुछ हासिल नहीं हो सका। सीबीडीटी ने यह भी कहा है कि प्रधान आयकर आयुक्त अथवा टीडीएस निदेशालय के आयुक्त अथवा जांच विभाग की टीम को इस बात का ध्यान रखना चाहिये सर्वे तय सीमा के आगे नहीं होना चाहिये।