नई दिल्ली। 31 मार्च अब ज्यादा दूर नहीं है। इनकम टैक्स से जुड़े निवेश करने की यह आखिरी तारीख होती है। टैक्स सेविंग के लिए विकल्पों को चयन उनके फायदे-नुकसान को देखकर करना चाहिए। कोई भी टैक्सपेयर टैक्स सेविंग के लिए आयकर अधिनियम की जिस धारा का सबसे अधिक लाभ उठाता है वह है 80C। इस धारा के तहत आपको कुल आय में कटौती (डिडक्शन) का लाभ मिलता है और इस प्रकार आप आयकर में बचत कर पाते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि धारा 80C के तहत आप टैक्स सेविंग के लिए अधिकतम डेढ़ लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं। वैसे तो धारा 80C के तहत बचत और निवेश के विकल्पों की भरमार है लेकिन ELSS कई मायनों में अन्य विकल्पों से बेहतर है। आइए, ELSS यानी टैक्स सेविंग फंड या इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम के लाभों के बारे में जानते हैं।
टैक्स सेविंग का सबसे बेहतरीन विकल्प क्यों है ELSS
धारा 80C के तहत निवेश और बचत के जितने भी विकल्प उपलब्ध हैं उनमें सबसे बेहतर ELSS है। रिटर्न के नजरिए से देखा जाए तो ELSS का प्रदर्शन लंबी समयावधि में सबसे बेहतर रहता है। लॉक-इन अवधि के नजरिए से भी ELSS आकर्षक हैं। PPF की मैच्योरिटी अवधि 15 साल की है, ULIP की लॉक-इन अवधि 5 साल की है जबकि ELSS के मामले में यह मात्र 3 साल है।
लंबी अवधि में रिटर्न भी अच्छा देते हैं ELSS
ऐतिहासिक तौर पर देखें तो एक एसेट क्लास के तौर पर इक्विटी अपेक्षाकृत ज्यादा रिटर्न अर्जित करने में सफल रहता है। यह एसेट क्लास निवेशकों के लिए धनार्जन का प्रमुख जरिया माना जाता रहा है।