नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return- ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर, 2020 है। लेकिन टैक्सपेयर अपना ITR भरने के लिए अंतिम समय तक इंतजार न करें। अगर आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया है, तो इसे जल्द से जल्द पूरा कर लें। अंतिम समय में ITR दाखिल करने में गलतियां होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। ITR फाइल करते समय ITR फॉर्म में सभी जानकारियां सही होना चाहिए। इसमें गलती होने पर इनकम टैक्स विभाग नोटिस भेजता है और कई मामलों में पेनाल्टी भी देनी पड़ती है। इसके अलावा देर से ITR दाखिल करने पर लेट फाइन भी बढ़ जाता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (Central Board of Direct Taxes- CBDT) इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी होने पर हर महीने 1 प्रतिशत की दर से लेट फीस वसूलता है। इसके अलावा जल्दी ITR दाखिल करने से रिफंड भी आपको जल्दी मिलेगा। इसलिए ITR फाइल करने के लिए 30 नवंबर के डेडलाइन का इंतजार नहीं करें।
सावधानी से दाखिल करें ITR
ITR दाखिल करने के लिए आपको कई डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी और रिटर्न फाइल करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। फॉर्म में गलतियां करना महंगा पड़ सकता है, इसलिए सावधानी से ITR दाखिल करें। इनकम टैक्स विभाग की ई-फाइलिंग से आसानी से ऑनलाइन ITR फाइल कर सकते हैं।
इन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत
फॉर्म 16 (Form 16): जॉब करने वाले लोगों को उनकी नियोक्ता कंपनी फॉर्म 16 देती है। इसमें फाइनेंशियल ईयर में काटा गया टैक्स और आय का लेखाजोखा मेंशन रहता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय नौकरीपेशा के लिए फॉर्म 16 सबसे जरूरी है। इसके बिना ITR फाइल करना बेहद मुश्किल हो जात है। FORM-16 के पार्ट-A में एंप्लॉयर की ओर से काटे गए टैक्स का विवरण होता है। इसमें आपका नाम, पता और PAN और एंप्लॉयर का TAN नंबर होता है। आपके PAN पर सरकार के पास कितना टैक्स जमा हुआ है, उसका तिमाही ब्योरा होता है। साथ ही यह भी दर्ज होता है कि आपकी सैलरी से कितना टैक्स काटा गया हैय़। वहीं पार्ट-B में आपकी आय का ब्योरा होता है। ITR में जिस फॉरमैट में ब्योरा भरना होता है, पार्ट-B में उसी फॉरमैट में आय का ब्योरा मिल जाता है। इससे ITR फाइल करने में आसानी होती है।
फॉर्म 26AS: इस फॉर्म में आय से काटे गए टैक्स की डिटेल होती है। साथ ही नद्वारा भुगतान किए गए सभी टैक्स और रिफंड की भी जानकारी होती है। इस फॉर्म के जरिये भुगतान किए गए टैक्स की डिटेल्स, एडवांस टैक्स या सेल्फ असेस्मेंट टैक्स भी उपलब्ध कराया जाता है। इससे टैक्सपेयर को आपको यह वेरिफाई करने में मदद मिलती है कि नियोक्ता कंपनी, बैंक या टैक्स भुगतान करने वाले ने सरकार के पास टैक्स डिपॉजिट किया है या नहीं।
टैक्स बचाने वाले इनवेस्टमेंट
- पीएफ फंड (EPFO) में योगदान
- बच्चों के स्कूल फीस या एजुकेशन लोन
- लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज
- होम लोन के एवज में किया गया भुगतान
- इक्विटी आधारित सेविंग्स स्कीम और म्यूचुअल फंड में निवेश
- इनकम टैक्स से सेक्शन 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।
इन पर भी मिलती है छूट
- बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाले ब्याज पर सेक्शन 88TTA के तहत सालान 10 हजार रुपए का टैक्स बेनिफिट मिलता है।
- मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सालाना 25,000 रुपए तक का टैक्स बेनिफिट मिलता है। सीनियर सिटीजन के मामले में यह 50,000 रुपए सालाना है।
- अगर अपने पेरेंट्स की मेडिकल इंश्योरेंस का प्रामियम आप ही भरते हैं तो इस पर अतिरिक्त छूट मिलती है। अगर पेरेंट्स की आयु 60 साल से कम है तो सालाना 25,000 रुपए तक का टैक्स बेनिफिट मिलेगा। अगर उनकी उम्र 60 साल से अधिक है तो सालाना 50,000 रुपए की छूट मिलेगी।
ऑनलाइन ITR दाखिल करने का तरीका
- सबसे पहले विभाग के पोर्टल incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- इसके बाद e-File टैब पर क्लिक करें और इनकम टैक्स रिटर्न लिंक पर क्लिक करें।
- प्रिपेयर एंड सबमिट ऑनलाइन के विकल्प को चुनें और कंटीन्यू (continue) बटन पर क्लिक करें।
- इसके बाद ITR फॉर्म में सभी जानकारियां भरें और सेशन टाइम आउट से बचने के लिए सेव ड्राफ्ट बटन पर क्लिक करते रहें।
- इसके बाद Tax Paid and Verification टैब में वेरिफिकेशन ऑप्शन को चुनें और प्रिव्यु एंड सबमिट बटन पर क्लिक करें।
अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करें
- इसके लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगइन करें और बैंक अकाउंट नंबर pre-validate करें।
- इसके बाद e-verify लिंक पर जाएं और acknowledgment नबंर दर्ज करें।
- बैंक अकाउंट नंबर से e-verify के ऑप्शन को चुनें और EVC तैयार करें। आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर EVC भेजा जाएगा।
- रिटर्न को verify करने के लिए पोर्टल पर इस कोड को दर्ज करें।