भारतीय शेयर मार्केट के लिए साल 2024 काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। देश में आम चुनाव और जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण शेयर बाजार में कई बार बड़ी गिरावट देखने को मिली। इसके चलते छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। अब निवेशकों की नजर 2025 पर हैं। हमने बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीआईओ (इक्विटी), संजय चावला से जानना चाहा कि 2025 में कहां तेजी रह सकती है? कहां निवेशकों को मोटा पैस बना सकता है? उन्होंने 2025 के लिए कुछ थीम दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
संजय चावला ने बताया कि जैसे-जैसे हम 2025 में कदम रख रहे हैं, हमारा मानना है कि ये बदलाव दिखाई देंगे।
1. अमेरिका में नई व्यवस्था से वैश्विक व्यापार के साथ-साथ जियो-पॉलिटिकल स्थिति पर भी असर पड़ने की संभावना है।
2. सरकारी खर्च और कॉर्पोरेट खर्च दोनों में बढ़ोतरी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार आना चाहिए।
3.इनोवेशन आधारित थीम मजबूत होंगे। हमें मजबूती के साथ यह भरोसा है कि विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था तक भारत की यात्रा शुरू हो चुकी है। इस यात्रा के केंद्र में जो महत्वपूर्ण फैक्टर होने जा रहा है, वह है इनोवेशन।
बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड में हमने निवेश के अवसरों के 4 विशेष थीम की पहचान की है-
फाइनेंशियल सेक्टर का बढ़ता आकार: भारत ने पहले ही डिजिटल पेमेंट को अपनाने में अग्रणी स्थान हासिल कर लिया है। बिना रुकावट या बिना परेशानी डिजिटल फाइनेंशियल सॉल्यूशंस की बढ़ती पहुंच से सभी वर्गों का एक समान विकास, हाई प्रोडक्टिविटी और पूंजी के साथ-साथ निवेश के अवसरों तक सभी की बेहतर पहुंच होगी।
इंडस्ट्री 5.0: हमारा मानना है कि भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जो तेजी आई है, अगले कुछ साल उस तेजी को सही मायने में रेखांकित करेंगे। सप्लाई चेन में चीन +1 रणनीति की ओर वैश्विक कदम और भारत में बढ़ती घरेलू मांग का मतलब होगा कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग वैश्विक स्तर पर पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं, बल्कि हम यह भी उम्मीद करते हैं कि भारत नई टेक्नोलॉजी ट्रेंड को अपनाने और उसे सही से लागू करने में सबसे आगे होगा, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में सेंटर-स्टेज पर है, जहां भारत को अब 3 दशक से अधिक की बढ़त मिल चुकी है।
रिटेलाइजेशन- रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी : उम्मीद है कि 2035 तक जनरेशन Z का खर्च 1.8 ट्रिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच जाएगा। टेक्नोलॉजी, कंजम्पशन के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसमें वे क्या खरीदते हैं और कैसे खरीदते हैं, सब कुछ शामिल है। हमारा मानना है कि स्पेस में संभावित रूप से बड़े बदलाव होंगे, जिससे मार्केट कैप का री-डिस्ट्रीब्यूशन यानी पुनर्वितरण हो सकता है।
एनर्जी ट्रांजीशन: यह एक ग्लोबल थीम है और भारत में एनर्जी के परिवेश को भी बदलने के लिए तैयार है। जीवाश्म ईंधन (कोयला और कच्चा तेल) के पारंपरिक सोर्स से रिन्यूएबल सोर्स (सोलर, विंड और इलेक्ट्रिक वाहन) में परिवर्तन पहले से ही पूरे वैल्यू चेन में महत्वपूर्ण निवेश के अवसर खोल रहा है।
2025: इन ग्लोबल फैक्टर पर रहेगी नजर
वैश्विक स्तर पर बात करें तो सभी की निगाहें ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ निर्णयों पर टिकी हैं। टैरिफ वार से भारत सबसे कम प्रभावित है... फिर भी, टैरिफ से अमेरिका में महंगाई का दबाव बढ़ेगा। इसका मतलब यह होगा कि ब्याज दरें बहुत कम नहीं होंगी। यह अमेरिका के 10-ईयर यील्ड में भी दिखता है, जो इस साल ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कमी के बावजूद, इस साल की शुरुआत के स्तरों से अधिक है। ऊंचे टैरिफ और ऊंची अमेरिकी दरों के संयोजन का मतलब होगा कि अमेरिकी डॉलर में मजबूती का ट्रेंड जारी रहेगा। हम उभरते बाजारों की करेंसी (मुद्राओं) में गिरावट के संकेतों की तलाश करेंगे। करेंसी के मोर्चे पर चीन का कदम महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त पड़ रही घरेलू मांग के कारण निर्यात संबंधी झटकों के प्रति संवेदनशील है। एक और उम्मीद यह है कि दुनिया भर में जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी। इसके साथ ही डॉलर के मजबूत होने का मतलब यह होगा कि कच्चे तेल की कीमतों सहित कमोडिटी की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। भारत के दृष्टिकोण से यह निश्चित रूप से अच्छी खबर है।
तीसरी तिमाही से ग्रोथ में तेजी आएगी
भारत की बात करें तो पिछली दो तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के कम आंकड़ों को देखते हुए ग्रोथ स्टोरी पर कुछ संदेह हैं। हालांकि, पहली तिमाही में राष्ट्रीय चुनाव और दूसरी तिमाही में मानसून के कारण सरकारी खर्च प्रभावित हुआ था। हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही से खर्च में धीरे-धीरे सुधार होगा और इसलिए जीडीपी ग्रोथ बेहतर होगी। हमारा मानना है कि 6-7 फीसदी वास्तविक जीडीपी ग्रोथ और 4-5 फीसदी महंगाई, जो 10-12 फीसदी नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में तब्दील हो, भारत के लिए एक बेहतर स्थिति है।
अंत में, भारतीय बाजार के लिए कुल वैल्युएशन 10 साल के औसत के अनुरूप है। हालांकि कुछ जगहों पर वैल्युएशन अधिक है, लेकिन हम बाजार में कई तरह के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं। कुल मिलाकर, हम 2025 में हम उम्मीदों के साथ प्रवेश करने जा रहे हैं, जहां हमारा मानना है कि भारत एक बार फिर एक ऐसी अर्थव्यवस्था और बाजार के रूप में उभरेगा, जिस पर वैश्विक अनिश्चितताओं का कम से कम प्रभाव पड़ेगा और वास्तव में यह मजबूती से आगे बढ़ेगा।