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Alert! बेटा-बेटी के नाम से लिया है म्यूचुअल फंड, तो 18 की उम्र तक जरूर कर लें ये काम

आइए जानते हैं कि म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में बच्चे के व्यस्क होने के बाद आपको क्या प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 10, 2022 14:44 IST
Mutual Funds- India TV Paisa

Mutual Funds

Highlights

  • कई बार हम बच्चे के जन्म पर या​ फिर जन्मदिन के तोहफे के रूप में उसके नाम से म्यूचुअल स्कीम में निवेश करते हैं
  • कानूनी अभिभावकों की स्थिति में नाबालिग बच्चा 21 वर्ष की आयु होने पर बालिग माना जाता है
  • बालिग होने के बाद अब खाता धारक को ही टैक्स-संबंधी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करनी होंगी

हम सभी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर निवेश करते हैं। कई बार हम बच्चे के जन्म पर या​ फिर जन्मदिन के तोहफे के रूप में उसके नाम से म्यूचुअल स्कीम में निवेश करते हैं। चूंकि बच्चा उस वक्त नाबालिक यानि कि 18 की उम्र को पार नहीं करता, ऐसे में सभी निवेश उसके माता पिता या फिर कानूनी अभिभावक के द्वारा किए जाते हैं। इसका लाभ भी उसे ही मिलता है। लेकिन जब बच्चा 18 साल की उम्र को पार कर बालिग हो जाता है, तब जरूरी होता है कि निवेश के कागजातों में उसका नाम एक व्यस्क के रूप में दर्ज हो। आइए जानते हैं कि म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में बच्चे के व्यस्क होने के बाद आपको क्या प्रक्रिया अपनानी चाहिए। 

जानिए कितनी उम्र में बच्चा माना जाता है बालिग

भारतीय नियमों के अनुसार नाबालिग व्यक्ति अपने माता-पिता/अभिभावकों के माध्यम से म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं। इस मामले में नाबालिग व्यक्ति पहला और एकमात्र खाता धारक होता है और एक वास्तविक अभिभावक (पिता/माता) या कानूनी अभिभावक (अदालत की ओर से नियुक्त) उसका प्रतिनिधित्व करता है। जब अभिभावक के रूप में माता पिता फंड्स खरीनाबालिग व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर बालिग होता है जबकि कानूनी अभिभावकों की स्थिति में नाबालिग बच्चा 21 वर्ष की आयु होने पर बालिग माना जाता है। 

बालिग होने पर अपनाएं ये प्रक्रिया 

बच्चे के नाबालिग से बालिग होने पर, या सामान्य अर्थ आपको एकमात्र खाता धारक की स्थिति को नाबालिग से बालिग में बदलने के लिए आवेदन करना। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो उस खाते में आपके अगले ट्रांज़ैक्शन्स (SIP/SWP/STP) निलंबित कर दिए जाएंगे। आम तौर पर म्यूचुअल फंड्स पहले से ही आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने के लिए अभिभावक और नाबालिग व्यक्ति को एक नोटिस भेजते हैं। अभिभावक को, बैंक अधिकारी द्वारा विधिवत् सत्यापित, नाबालिग व्यक्ति के हस्ताक्षर के साथ स्थिति को बालिग में बदलने के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ नाबालिग व्यक्ति का बैंक अकाउंट रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म और KYC भी जमा करना ज़रूरी है।

अब बालिग व्यक्ति पर होगी टैक्स की जिम्मेदारी

बालिग होने के बाद अब खाता धारक को ही टैक्स-संबंधी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करनी होंगी। जब तक कोई बच्चा नाबालिग रहता है, तब तक उस बच्चे के अकाउंट में पूरी आमदनी और लाभ को माता-पिता/अभिभावक की आमदनी में जोड़ दिया जाता है और माता-पिता/अभिभावक लागू टैक्स का भुगतान करता है। जिस साल नाबालिग व्यक्ति बालिग होता है, उस साल से उसे एक अलग व्यक्ति माना जाएगा और वह उतने महीनों के लिए टैक्स का भुगतान करेगा उस साल जितने महीने से वह बालिग होगा।

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