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PPF अकाउंट हो जाए इनएक्टिव तो क्या होंगे आपके सामने विकल्प? क्या दोबारा होगा चालू?

नियमों के मुताबिक, पीपीएफ में अकाउंट होल्डर को साल में कम से कम 500 रुपये जरूर डिपोजिट करना चाहिए। जब कस्टमर यह मिनिमम अमाउंट भी उस साल जमा नहीं किया जाता है तो पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: August 08, 2024 16:15 IST
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय फिक्स्ड-इनकम निवेश विकल्प है। - India TV Paisa
Photo:FILE पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय फिक्स्ड-इनकम निवेश विकल्प है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ भारत सरकार की एक लंबी अवधि के लिए बचत करने की स्कीम है। पीपीएफ बचत योजना की परिपक्वता अवधि 15 वर्ष होती है, लेकिन अगर आपका पीपीएफ अकाउंट कुछ समय से निष्क्रिय (इनएक्टिव) है, तो आप निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद इसे पुनः चालू कर सकते हैं। इनएक्टिव यानी निष्क्रिय पीपीएफ अकाउंट को दोबारा से एक्टिव करने के लिए, अकाउंट होल्डर को बैंक या पोस्ट ऑफिस में लिखित अनुरोध के साथ-साथ अकाउंट इनएक्टिव रहने वाले प्रत्येक साल के लिए 500 रुपये जमा करने होंगे। साथ ही, निष्क्रियता के प्रत्येक वर्ष के लिए 50 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।

क्यों पीपीएफ अकाउंट हो जाता है इनएक्टिव

पब्लिक प्रोविडेंट फंड के निवेश नियमों के मुताबिक, पीपीएफ में अकाउंट होल्डर को साल में कम से कम 500 रुपये जरूर डिपोजिट करना चाहिए। जब कस्टमर यह मिनिमम अमाउंट भी उस साल जमा नहीं किया जाता है तो पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता है। यानी आपका पीपीएफ अकाउंट एक्टिव नहीं रह जाता है। अगर आपका पीपीएफ खाता एक वित्तीय वर्ष से अधिक समय तक निष्क्रिय रहा है तो बैंक या डाकघर आपसे इसे रिवाइव करने के लिए 50 रुपये का जुर्माना वसूलेंगे।

स्कीम को समझिये

पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय फिक्स्ड-इनकम निवेश विकल्प है। व्यक्ति हर साल PPF खाते में 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं और आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स कटौती भी हासिल कर सकते हैं। अकाउंट की वैविडिटी अवधि 15 साल है और खाताधारक को हर वित्तीय वर्ष में कम से कम 500 रुपये जमा करने होते हैं। इस स्कीम में लोन लेने की सुविधा तीसरे वित्तीय वर्ष से लेकर छठे वित्तीय वर्ष तक उपलब्ध है। सातवें वित्तीय वर्ष से हर वर्ष निकासी की अनुमति है।

मेच्योरिटी के बाद भी पीपीएफ खाते को अतिरिक्त जमा के साथ 5 सालों के ब्लॉक के लिए किसी भी संख्या के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसमें जमा राशि आयकर अधिनियम की धारा 80-सी के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र है।

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