म्यूचुअल फंड में इन दिनों फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान काफी छाया हुआ है। इस साल अब तक करीब 50 फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) लॉन्च हो चुके हैं। यह एक तय अवधि की स्कीम होती है। इस स्कीम में आमतौर पर फिक्स्ड अवधि वाले डेट इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट किया जाता है। यह अवधि कुछ महीनों से लेकर कई साल तक की हो सकती है। ये प्लान्स डेट में इन्वेस्ट करते हैं, इसलिए इनमें जोखिम कम होता है। इन प्लान्स में निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी मिल जाता है। जो निवेशक ज्यादा रिस्क नहीं उठाना चाहते, उन्हें ये प्लान्स काफी पसंद आ रहे हैं।
एफडी से कैसे अलग है यह
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान एक तरह से एफडी ही है। एफडी में आपका पैसा बैंकों में जमा होता है, तो यहां फंड हाउस के माध्यम से आपका पैसा डेट इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट होता है। फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स पर ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता। जबकि बैंकों की एफडी रेपो रेट से प्रभावित होती है।
क्यों हो रहीं पॉपुलर?
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स के पॉपुलर होने के पीछे बाजार की बदलती परिस्थितियां हैं। महंगाई पर कंट्रोल आने के चलते भारतीय रिजर्व बैंक काफी समय से रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं कर रहा है। बल्कि अब रेपो रेट में गिरावट की उम्मीद की जा रही है। जब रेपो रेट बढ़ी थी, तो बैंकों ने भी एफडी पर ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया था। अब रेपो रेट स्थिर है, तो इसका असर एफडी की ब्याज दरों पर भी दिखने लगा है। कुछ बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरों को घटाना भी शुरू कर दिया है। यानी आने वाले समय में एफडी पर ब्याज घट सकता है। ऐसे में कम जोखिम वाले निवेश विकल्प पसंद करने वाले लोगों के लिए फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान एक शानदार ऑप्शन है।