Wealth Tips: हम सभी खुशहाल जिंदगी के सपने देखते हैं। अपने छोटे से बड़े सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं। मेहनत के दम पर अच्छी कमाई भी करते हैं लेकिन कुछ ही लोग अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं। कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है कि उस व्यक्ति ने कमाई के साथ ही वित्तीय प्लानिंग शुरू कर दी। उसने आय, खर्च, बचत और निवेश का बजट बनाया। अगर, आप भी अपने सभी सपने पूरा करना चाहते हैं तो हम आपको 10 जरूरी जानकारी दे रहें हैं। इनको आप फॉलो कर आसानी से अपने सभी सपनों को पूरा कर सकते हैं।
1. खर्च और निवेश का बजट बनाएं
वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि हर किसी को कमाई शुरू होने के साथ ही खर्च और निवेश का बजट बना लेना चाहिए। बजट हमेशा लिखित होना चाहिए। इससे खर्च के बाद बचत का आकलन करने में मदद मिलती है। फिर आप उसके अनुसार निवेश की योजना बना पाते हैं। इस तरह आप कम कमाई में भी निवेश करना शुरू कर देते हैं।
2. इमरजेंसी फंड से आनाकानी न करें
भविष्य में होने वाले किसी आकस्मिक खर्च को पूरा करने के लिए इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं। आम तौर पर लोग पर्सनल फाइनेंस के सभी रूल को फॉलो करते हैं, लेकिन इमरजेंसी फंड बनाना भूल जाते हैं। निवेशक इमरजेंसी फंड नहीं बनाकर निवेश करते हैं और जब आपात स्थिति आती है तो निवेश की गई रकम को निकाल लेते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। भविष्य में होने वाली किसी आकस्मिक खर्च के लिए अलग से पर्याप्त इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए।
3. बीमा कराना न भूलें
वित्तीय प्लानिंग बनाते समय बीमा को जरूर शामिल करें। इंश्योरेंस आपके परिवार के लोगों को एक्सीडेंट या किसी अप्रत्याशित स्थिति में आय का नुकसान होने पर वित्तीय भरपाई करता है। आप अपनी इंश्योरेंस जरूरतों का मूल्यांकन कीजिए और उसी के अनुरूप पर्याप्त इंश्योरेंस लीजिए। आपके लिए बेहतर होगा कि आप टर्म इंश्योरेंस लें जो कि इंश्योरेंस का सबसे सस्ता विकल्प होता है।
4. हेल्थ इंश्योरेंस समय की मांग
मौजूदा समय में किसी अच्छे अस्पताल में छोटी बीमारी का इलाज करना भी आपकी वित्तीय स्थिति को चरमरा दे सकता है, क्योंकि इलाज का खर्च काफी महंगा हो गया है। इसमें दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। परिवार का एक सदस्य भी बीमार पड़ जाए तो कभी-कभार पूरा निवेश खर्च करने की नौबत आ जाती है। इसलिए आज जिस शहर में रहते हैं, उसके आधार पर पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लें।
5. आय के अनुसार ही लोन लें
आमातौर पर युवा वर्ग अपनी जीवनशैली सुधारने और उसमें बदलाव करने के चक्कर में रहते हैं। इस चक्कर में वो कभी गाड़ी तो कभी मोबाइल खरीदने के लिए लोन लेते हैं। कई भी वह अपनी आय से अधिक लोन ले लेते हैं और ईएमआई के बोझ में दब जाते है। कभी भी अपनी रीपेमेंट की क्षमता से ज्यादा लोन न लें। अगर आपने लोन लिया है तो सबसे पहले उसको चुकाने पर ध्यान देना चाहिए।
6. वित्तीय लक्ष्य को देखकर करें निवेश
आपके भविष्य के वित्तीय लक्ष्य की प्राप्ति में निवेश की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय के निवेश से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। साथ ही आपके बाद की पीढ़ी को भी वित्तीय सुरक्षा मिलती है। हालांकि, कई लोग लंबे समय के निवेश का उपयोग बीच में ही कर देते हैं। आप ऐसा नहीं करें। जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता है तब तक किसी भी लांग टर्म इन्वेस्टमेंट को हाथ न लगाएं। इसके साथ ही कोई भी निवेश वित्तीय लक्ष्य बनाकर ही करें।
7. वित्तीय योजना को बार-बार समीक्षा करें
कई बार देखने को मिलता है कि लोग वित्तीय योजना बना लेते हैं और उसकी समीक्षा करना भूल जाते हैं। आप ऐसी गलती नहीं करें। वित्तीय योजना को बनाने के बार समय-समय पर उसकी समीक्षा करें। यह आपकी बदलती जरूरत के अनुरूप होना चाहिए। इसके साथ ही अगर, आपने कहीं निवेश किया और वह आपके लक्ष्य के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो आप उसका मूल्यांकन करें और किसी दूसरे निवेश माध्यम में निवेश करें। मूल्यांकन करने से आपको अपनी वित्तीय योजना को सही करने में मदद मिलेगी।
8. वित्त वर्ष शुरू होने के साथ टैक्स की प्लानिंग
टैक्स बचत की प्लानिंग वित्त वर्ष के अंत में बिल्कुल नहीं करें। इससे आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। वित्त वर्ष की शुरुआत में ही टैक्स की प्लानिंग कर लें। इससे आपको सही निवेश माध्यम को चयन करने में मदद मिलेगी जो आपको सही रिटर्न दिलाने में मदद करेगा।
9. वसीयत तैयार करना न भूलें
आपके वित्तीय लक्ष्य तभी पूरे होंगे, जब आपकी अर्जित संपत्ति उचित उत्तराधिकारी के पास जाएगी। अगर आपने उत्तराधिकारी की योजना नहीं बनाई है तो आपके जीवनसाथी व बच्चों को तकलीफ उठानी पड़ सकती है। अपनी संपत्ति को अपने उत्तराधिकारियों में उचित वितरण की योजना के लिए एक वसीयत तैयार कीजिए।
10. दोस्तों को देखकर खर्च की आदत न बनाएं
कभी भी आप खर्च की आदत दोस्तों को देखकर न बनाएं। अपने खर्चों को अपने हाथों में रखने की कोशिश करें। ये आपकी जरूरतों, लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के आधार पर होने चाहिए। इससे आप कभी कर्ज की जाल में नहीं फंसेंगे।