आम निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) काफी पॉपुलर है। इसकी वजह है कि ये दोनों निवेश माध्यम जोखिम रहित रिटर्न प्रदान करते हैं। इसमें निवेशकों को पता है कि उनको एक तय अवधि के बाद कितना रिटर्न मिलेगा। हालांकि, एक और सरकारी स्कीम है, जिसमें जोखिम नहीं है और रिटर्न FD, NSC से ज्यादा मिलता है। आप सोच रहेंगे कि वह कौन सी स्कीम है तो हम आपको बता रहे हैं। एफडी और एनएसी से अधिक रिटर्न के लिए आप RBI Floating Rate Savings Bonds में निवेश कर सकते हैं।
आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड सरकार समर्थित सेविंग इन्स्ट्रूमेंट हैं जो भारतीय निवेशकों को प्रतिस्पर्धी ब्याज दर के साथ सुरक्षित निवेश प्रदान करता है। यह फिक्स रेट वाले बांडों के विपरीत, आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड पर ब्याज दर इसकी परिपक्वता अवधि के दौरान तय नहीं होती है। ब्याज दर 35 आधार अंक (बीपीएस) स्प्रेड के साथ राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) की प्रचलित ब्याज दर से जुड़ी हुई है।
कौन कर सकता है इस बांड में निवेश
आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बांड में भारतीय नागरिक (संयुक्त होल्डिंग्स सहित) और हिंदू अविभाजित परिवारों निवेश कर सकते हैं। पिता, माता अपने नाबालिग बच्चे के बदले में निवेश कर सकते हैं। एनआरआई इन बांडों में निवेश नहीं कर सकते हैं। आपको बता दें कि आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड, एनएससी के रेट से 0.35% अधिक ब्याज का भुगतान करता है। ब्याज दर हर छह महीने में रिवाइज की जाती है। ब्याज दरें हर छह महीने में बदलती हैं, इसलिए निवेशकों के पास अधिक रिटर्न पाने का मौका होता है।
इसमें मैच्योरिटी अवधि क्या है?
आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड 7 साल है। आरबीआई के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के निवेशक मैच्योरिटी अवधि से पहले भी पैसा निकाल सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए लॉक-इन अवधि: 60 से 70 वर्ष-6 वर्ष; 70 से 80 वर्ष-5 वर्ष, 80 वर्ष और उससे अधिक की आयु के लिए 4 वर्ष है। आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड में 1000 रुाये या इसके गुणकों में निवेश किया जा सकता है। बांड में निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।