बीता एक साल होम लोन लेने वालों के लिए बुरे सपने जैसा रहा है। हर दो महीने में होने वाली रिजर्व बैंक की बैठक के बाद बैंक धड़ाधड़ ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। हालांकि बीते दो महीने से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाई हैं। लेकिन दरें कम भी नहीं हुई हैं। ऐसे में होम कार या पर्सनल लोन अभी भी महंगा है। रिजर्व बैंक ने भले ही अप्रैल और जून की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें स्थिर रखी हों। लेकिन इसके बावजूद SBI और ICICI जैसे बड़े बैंकों ने एमसीएलआर में वृद्धि कर ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का बिगुल फूंक दिया है।
ऐसे में मुमकिन है कि आप के मौजूदा होम लोन की ईएमआई बढ़ जाए। यह बढ़ोत्तरी मध्यम वर्गीय परिवार की मुश्किलें और बढ़ा सकती है। लोन रिपेमेंट के लिए हर महीने मंथली किस्त (EMI) एक निश्चित तारीख पर चुकानी पड़ती है। ऐसे में ब्याज दरों में वृद्धि का असर आपके मंथली खर्चों में भी जुड़ेगा। आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय, जिनसे आप बिना EMI की बढ़ोत्तरी के आसानी से कर्ज चुका सकें।
प्री-पेमेंट करें
अपनी ईएमआई को काबू में रखने के लिए जरूरी है कि आप अपने लोन की राशि में कुछ कमी लाएं। यदि आपके पास बोनस का कुछ पैसा जुड़ा है या फिर आपको कहीं से बड़ा फंड मिला हो तो सबसे पहले आप अपने लोन की कुछ राशि का प्रीपेमेंट कर दें। इससे आप लोन की EMI घटा सकते हैं। दरअसल, जब भी आप प्रीपेमेंट करते हैं, तो वह रकम सीधे प्रिंसिपल अमाउंट से कम होती है। इस तरह आपकी मंथली किस्त भी कम हो जाती है।
लोन का टेन्योर बढ़ा कर
अमूमन होम लोन हमें 20 या 25 साल के लिए मिलता है। यदि ब्याज दरों में वृद्धि आपके लिए बड़ा झटका साबित हो रही है और आपको अपने खर्चे निकालने में मुश्किल हो रही है तो आप लोन का टेन्योर बढ़वा कर EMI कम करा सकते हैं। लेकिन, इसमें एक घाटा यह होगा कि आपको ब्याज ज्यादा देना पड़ जाएगा।
लोन ट्रांसफर
आज का दौर प्रतिस्पर्धा का है। ग्राहकों को अपनी ओर लुभाने के लिए बैंक अक्सर दूसरे बैंकों के मौजूदा ग्राहकों को लोन ट्रांसफर की पेशकश करते हैं। इसमें वे या तो टेन्योर कम करने का या फिर ब्याज दरें घटाने की पेशकश करते हैं। ऐसे में यदि दूसरे बैंक में कम ब्याज दर है, तो आप लोन ट्रांसफर करा सकते हैं।
ज्यादा डाउन पेमेंट करें
यदि आप नया लोन ले रहे हैं जो कोशिश करें कि जितना अधिक हो सके आप डाउन पेमेंट की राशि को बढ़ा लें। 1-2 लाख रुपये का ज्यादा डाउन पेमेंट भी आपकी EMI 2-3 हजार रुपये कम कर सकता है। इसके अलावा, ब्याज की भी बचत होती है। इससे आपको कम कर्ज लेना पड़ता है और आपकी ईएमआई भी आपके काबू में रहती है।
बैंक से करें बात
अगर आप सही समय पर किस्तें चुका रहे हैं तो बैंक आप पर मेहरबानी कर सकता है। बैंक कई बार अपने अच्छे रिपेमेंट ट्रैक रिकॉर्ड और सिबिल स्कोर वाले कस्टमर्स को ब्याज दरों में अतिरिक्त राहत देते हैं। लेकिन इसके लिए आपको बैंक से बात करनी होती है। आप आसानी से ईएमआई घटा लेंगे