बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरसें के प्रीमियम में बड़ी बढ़ोतरी की है। आपको बता दें कि एचडीएफसी एर्गो ने प्रीमियम बढ़ा दिया है। स्टार हेल्थ ने अपनी 30% पॉलिसियों के लिए प्रीमियम में 10%-15% की बढ़ोतरी की तैयारी में है। निवा बूपा और न्यू इंडिया भी प्रीमियम बढ़ाने जा रही है। एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस ने अगस्त से अपने प्रमुख स्वास्थ्य बीमा उत्पादों ‘ऑप्टिमा सिक्योर’ और ‘ऑप्टिमा रिस्टोर’ के लिए प्रीमियम बढ़ाया और स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस ने कहा कि वह अपने 30% उत्पादों के लिए प्रीमियम में 10%-15% की बढ़ोतरी करने की योजना बना रहा है, निवा बूपा अपने सबसे पुराने उत्पादों में से एक ‘हेल्थ कम्पैनियन’ के लिए प्रीमियम बढ़ा रहा है। देश की सबसे बड़ी सामान्य बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस ने अपने कुछ उत्पादों के लिए प्रीमियम में 10% की बढ़ोतरी की है, जो इस साल नवंबर से प्रभावी होगी।
प्रीमियम में वृद्धि के पीछे कारण
इंश्योरेंस सेक्टर के जानकारों का कहना है कि इलाज खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वहीं, बीमा कंपनियां पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को इस साल अप्रैल से चार साल से घटाकर तीन साल की है। इन दोनों कारणों के चलते इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ा है। बीमा नियामक ने अप्रैल से मोरेटोरियम पीरियड को भी 8 साल से घटाकर पांच साल कर दिया है। इसका मतलब यह है कि जिन पॉलिसीधारकों ने लगातार पांच साल तक प्रीमियम का भुगतान किया है, वे पॉलिसी में निर्धारित सीमा तक बीमाकर्ता द्वारा अपने सभी दावों का भुगतान पाने के हकदार होंगे।
कोविड के दौरान लगा था झटका
कोविड महामारी के दौरान दावों में उछाल आया और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र को घाटा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप प्रीमियम में उद्योग-व्यापी भारी वृद्धि हुई। हालांकि स्वास्थ्य बीमाकर्ता अब लाभ में हैं, लेकिन चिकित्सा लागत अभी भी अधिक बनी हुई है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं ने लगातार दूसरे वर्ष कई लोकप्रिय पॉलिसियों के प्रीमियम में बढ़ोतरी की है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम कैसे कम करें?
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कंपनी की ओर से कई सारे विकल्प दिए जाते हैं, जिन्हें कम कर आप प्रीमियम कम कर सकते हैं। इसमें को-पेमेंट, डेडक्टिबल्स और रूम रेंट लिमिट, टॉप-अप या सुपर टॉप-अप आदि हैं। पॉलिसी में मिल रही सुविधाओं को देखें। जिसका इस्तेमाल आप नहीं कर रहें या कटौती संभव है, उसे कंपनी से बात कर हटा दें। इससे प्रीमियम घटाने में मदद मिलेगी। आप नई कंपनी में शिफ्ट होकर भी पॉलिसी को कम कर सकते हैं।