SIP करने की सलाह हर जानकार द्वारा निवेशकों को दी जाती है। इसकी मदद से कोई भी निवेशक लंबे समय में एक बड़ा फंड तैयार कर सकता है। एसआईपी करते समय हमें इसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जिससे बेहतर रिटर्न पाने में मदद मिले। आज हम अपने इस आर्टिकल में एसआईपी के प्रकारों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एसआईपी कुल सात प्रकार की होती हैं। इसकी मदद से आप महीने दर महीने किस्त की तरह से पैसे जमा करते हैं। इसमें सबसे अधिक कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है।
रेगुलर एसआईपी (Regular SIP)
रेगुलर एसआईपी में एक निश्चित अमाउंट ही निवेश किया जाता है। इसे आप महीने, तिमाही या वार्षिक एसआईपी के विकल्प को चुन सकते हैं। ये एसाईपी करने का सबसे साधारण तरीका होता है।
टॉप-अप एसआईपी (Top-UP SIP)
जब भी आप अपनी मौजूदा एसआईपी में अतिरिक्त राशि का निवेश करते हैं तो उसे टॉप-अप एसआईपी कहा जाता है। उदाहरण के लिए आप हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी करते हैं और इनकम बढ़ने के साथ इस एसआईपी की राशि को 1200 कर देते हैं तो ये टॉप-अप एसआईपी मानी जाएगी।
फ्लेक्सिबल एसआईपी (Flexible SIP)
फ्लेक्सिबल एसआईपी भी निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। इसमें आप बाजार की परिस्थितियों के मुताबिक अपनी एसआईपी को बढ़ाते और घटाते हैं। इस तरह की एसआईपी करने के लिए आपको बाजार की जानकारी होना जरूरी है।
ट्रिगर एसआईपी (Trigger SIP)
ट्रिगर एसआईपी भी एसआईपी करने का एक तरीका है। इसमें निवेश अपनी एसआईपी में बाजार में कोई विशेष परिस्थिति आने पर अतिरिक्त निवेश करत हैं। इस तरह की एसआईपी ज्यादा लोग लंपसम निवेश करने के लिए करते हैं।
वैल्यूएशन बेस्ड ट्रिगर एसआईपी (Valuation-based Trigger SIP)
ये भी ट्रिगर एसआईपी की तरह ही होता है। इसमें बाजार की वैल्यूएशन कम होने पर एसआईपी की जाती है। उदाहरण के लिए निफ्टी और सेंसेक्स की वैल्यूएशन एक लेवल से नीचे आ जाती है तो निवेशक निवेश करने का फैसला लेता है।
स्थायी एसआईपी
इस प्रकार की एसआईपी में आप कभी भी कोई निश्चित नहीं चुनते हैं। आप इसे कभी भी बंद कर सकते हैं। इसे काफी सुविधाजनक माना जाता है और इस प्रकार की एसआईपी से बड़ा फंड एकत्रित किया जा सकता है।
एसआईपी इंश्योरेंस
अगर आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एसआईपी कर रहे हैं तो एसआईपी इंश्योरेंस न लेना भूलें। ये एक ग्रुप टर्म इंश्योरेंस होता है। ये एएमसी कंपनियों के हिसाब से अलग-अलग होता है और इसमें अधिकतम 50 लाख रुपये की राशि एसआईपी करने वाले व्यक्ति की मृत्यू पर नॉमिनी को मिलती है।