दुनियाभर में मंदी की चिंता के बीच छंटनी का दौर शुरू हो गया है। ट्विटर, मेटा, गूगल, अमेजन समेत दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों को बाहर निकाला जा रहा है। ऐसे में देश के अंदर भी एक डर का माहौल पैदा हो रहा है। अगर आप भी नौकरीपेशा हैं तो जरूर जॉब सिक्योरिटी की चिंता सताने लगी होगी। ऐसा इसलिए कि नौकरीपेशा लोगों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी समेत कई लोन की ईएमआई का बोझ होता है। नौकरी जाने पर लोन की ईएमआई चुकाना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, ऐसा नहीं कि इसका उपाय नहीं है। जिस तरह आप बीमारी में होने वाले खर्च की भरपाई के लिए हेल्थ इंश्योरेंस और दुर्घटना से निपटने के लिए एक्सीडेंटल इंश्योरेंस लेते हैं, ठीक उसी तरह जॉब जाने पर खर्चे की भरपाई के लिए आप जॉब इंश्योरेंस खरीद सकते हैं। नौकरी जाने की स्थिति में आपको पॉलिसी कवर के तहत वित्तीय मदद प्रदान की जाती है। आइए, जानते हैं कि छंटनी होने पर जॉब इंश्योरेंस(Job Insurance) आपके कितना काम आ सकता है।
क्या है जॉब इंश्योरेंस?
इंश्योरेंस कंपनियां नौकरीपेशा वाले लोगों को यह पॉलिसी बेचती है। इस पॉलिसी को लेने पर अगर बीमाधारक की नौकरी चली जाती है तो उसके सभी ईएमआई का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी के शर्तों के तहत करती है। हालांकि, भारत में जॉब इंश्योरेंस स्टैंडलोन पॉलिसी के तौर पर नहीं मिलती। यह मुख्य पॉलिसी के साथ राइडर या ऐड ऑन कवर की तरह उपलब्ध है। इस पॉलिसी को लेने के लिए आवेदक के पास सैलरी के तौर पर आय होनी चाहिए। इसके अलावा जिस कंपनी में आवेदक नौकरी कर रहा है, वह रजिस्टर्ड होनी चाहिए।
प्रीमियम और कवर की अवधि
जॉब इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम आमतौर पर, कुल कवरेज का 3% से 5% तक होता है। वहीं अगर अवधि की बात करें तो अगर जॉब इंश्योरेंस पॉलिसी होम लोन के तहत ली गई है तो उसकी अवधि पांच साल होगी। जॉब लॉस इंश्योरेंस में बहुत ही सीमित तरीके से फायदा मिलता है। कई कंपनियां नेट इनकम का 50 फीसदी राशि ही देती हैं। कंपनियां जॉब इंश्योरेंस के तहत बहुत ही कम समय के लिए बीमा कवर मुहैया कराती हैं। इसमें स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की तरह वेटिंग पीरियड 30 से 90 दिन या अधिकत चार महीने का होता है। इसी तरह पॉलिसी टर्म भी एक से पांच साल तक का ही होता है। इतना ही नहीं योजना के तहत कंपनी आपकी तीन से चार ईएमआई की चुकाती है, इससे पहले आपको अपने लिए नई नौकरी ढूंढ़ना होता है।
जॉब इंश्योरेंस लेने से पहले ये जान लें
- पॉलिसी शर्तों के मुताबिक नौकरी चले जाने पर बीमाधारक को आर्थिक मदद मिलती है। एक निर्धारित अवधि तक इंश्योरेंस कंपनी लोन की ईएमआई का भुगतान करती है। जॉब लॉस इंश्योरेंस कवर में इंश्योरेंस कंपनियों के नियम और शर्तें अलग-अलग होती हैं।
- अगर नौकरी धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार या अन्य गलत कार्यों के चलते गई है तो इसका लाभ नहीं मिलता है।
- प्रोवेशन पीरियड के दौरान जॉब लॉस इंश्योरेंस कवर की सुरक्षा नहीं मिलती है।
- अस्थाई तौर पर या अनुबंध के तहत नौकरी करने वाले लोगों को यह इंश्योरेंस कवर नहीं दिया जाता है.
ये कंपनियां दे रही जॉब लॉस कवर
- एचडीएफसी एग्रो का होम सुरक्षा प्लान
- रॉयल सुंदरम का सेफ लोन शील्ड
- आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड का सिक्योर माइंड
नौकरी जाने पर क्लेम कैसे करें?
नौकरी चली जाने पर इंश्योरेंस कंपनी को इसकी सूचना देनी होगी और जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करना होंगे। बीमा कंपनी की ओर से वैरिफिकेशन पूरा होने के बाद इंश्योरेंस कंपनी क्लेम दे देती है।