रिटायरमेंट प्लानिंग आज के खर्चों को देखते हुए काफी जरूरी हो गई है। रिटायरमेंट के बाद इनकम न होने के कारण आपको अपने फंड को इस तरह से निवेश करना होता है कि ज्यादा से ज्यादा से रिटर्न मिले, जिससे आपको अपने खर्चों को पूरा करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर न रहना पड़े।
अब तक निवेश के लिए रिटायर्ड लोगों के पास एफडी और छोटे बचत योजनाएं जैसे विकल्प होते थे, लेकिन अब वक्त बदल गया है और रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड भी आ गए हैं। इन म्यूचुअल फंड की खासियत होती है कि ये रिटायर्ड लोगों को ध्यान में रखकर बनाए गए होते हैं और इसमें निवेश पर रिटर्न देने के साथ फोकस कैपिटल को सुरक्षित रखने पर होता है।
क्या होते हैं रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड?
म्यूचुअल फंड की कई कैटेगरी होती हैं। इसमें से एक होते हैं हाइब्रिड फंड्स, जिसके तहत रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड आते हैं। हाइब्रिड फंड्स के तहत निवेश इक्विटी के साथ फिक्स्ड इनकम और गोल्ड में किया जाता है। कई निवेशक हाइब्रिड फंड्स का उपयोग अपने पोर्टफोलियो बैलेंस रखने के लिए करते हैं। जब मार्केट में मंदी होती है तो हाइब्रिड फंड्स का डेट सेगमेंट पोर्टफोलियो के स्थिर रखने में मदद करता है। वहीं, जब बाजार में तेजी आती है तो इक्विटी सेगमेंट बाजार को ऊपर ले जाता है।
रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड में होता है पांच वर्ष का लॉक इन पीरियड
एसबीआई म्यूचुअल फंड की वेबसाइट के अनुसार रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड में पांच वर्ष या आपकी रिटायरमेंट (जो पहले हो) उसका लॉक इन पीरियड होता है। इससे आपके निवेश को बढ़ने का मौका मिल जाता है। आपको कंपाउडिंग का अधिक फायदा मिलता है।
रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड के फायदे
- रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड से आपको अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का मौका मिल जाता है। आप फिक्स्ड एसेट के साथ गोल्ड और शेयर बाजार में निवेश कर पाते हैं।
- रिटायरमेंट के बाद अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न पाने में मदद मिलती है।
- कंपाउडिंग का फायदा आपका रिटायरमेंट के बाद भी मिलता है।