Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. मेरा पैसा
  4. नए साल पर नौकरी बदलने की है प्लानिंग, तो सैलरी स्लिप के इस खेल को समझ लें

नए साल पर नौकरी बदलने की है प्लानिंग, तो सैलरी स्लिप के इस खेल को समझ लें

अगर आपने नए साल पर नौकरी चेंज करने का मुड बनाया है तो आप सैलरी स्लिप से जुड़ी इन बातों को जान लें। हाथ में कितने रुपये मिलेंगे, इसके बारे में पता लगाने में आसानी होगी।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: December 18, 2022 14:54 IST
नए साल पर नौकरी बदलने की है प्लानिंग, तो ये जान लें- India TV Paisa
Photo:FILE नए साल पर नौकरी बदलने की है प्लानिंग, तो ये जान लें

सैलरी स्लिप (Salary Slip) की मदद से ये अंदाजा लग पाता है कि किसी व्यक्ति की वास्तविक सैलरी कितनी है। अगर आप एक प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी हैं तो आपको नौकरी बदलते वक्त भी सैलरी स्लिप की जरूरत पड़ती है। जब पहली बार आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक आपसे सैलरी स्लिप की डिमांड करते हैं, फिर उसके आधार पर आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट तैयार की जाती है। ऐसे में आपको ये जान लेना चाहिए कि सैलरी स्लिप क्या होता है ताकि आपको आने वाले समय में सैलरी स्लिप को लेकर कोई कंप्यूजन ना रहे। 

बेसिक सैलरी (Basic Salary)

यह सैलरी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जो कुल सैलरी के 35 से 50 फीसदी तक होता है। कर्मचारी को मिलने वाले तमाम लाभ सैलरी के इसी हिस्से पर मिलते हैं। टैक्स की दृष्टि से देखें तो यह पूरा हिस्सा टैक्स योग्य होता है।

हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance)

घर का रेंट चुकाने के लिए मिलने वाला भत्ता हाउस रेंट अलाउंस कहलाता है। HRA बेसिक सैलरी का 40 से 50 फीसदी तक होता है, जो कि आपके स्थानीय निवास पर निर्भर करता है।

यात्रा भत्ता (Conveyance Allowance)

घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक आने जाने के लिए कंपनी की तरफ से दिया जाने वाला भत्ता होता है। इसमें अधिकतम 1600 रुपए या इससे कम की राशि जो कि आपकी सैलरी स्लिप के मुताबिक देय होती है। बता दें यह टैक्स के दायरे में नहीं आती है।

लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)

छुट्टियों के दौरान नियोक्ता अपने कर्माचारियों को यह भत्ता भी देता है, जिसमें आपके परिवार का ट्रैवल खर्च भी शामिल होता है। टैक्स में राहत लेने के लिए सफर के खर्चे की सभी रसीदें जरूरी होती है। साथ ही सफर के खर्च के अलावा किसी भी प्रकार का खर्च आपके LTA में शामिल नहीं होगा। 4 वित्त वर्षों के दौरान सिर्फ 2 यात्राएं टैक्स छूट की दायरे में आती हैं।

मेडिकल अलाउंस

नियोक्ता (Employer) अपने कर्मचारी को सेवा के दौरान किए गए मेडिकल खर्चे का भुगतान भी भत्ते के रूप में करता है। यह भुगतान आपको बिल के बदले मिलता है, इसके लिए आपको मेडिकल खर्च की रसीद देनी होती है। टैक्स की दृष्टि से 15,000 रुपए के सालाना मेडिकल बिल करमुक्त हैं।

परफॉर्मेंस बोनस और स्पेशल अलाउंस

यह नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के प्रोत्साहन के लिए दिया जाने वाला भत्ता होता है। इसकी 100 फीसदी रकम कर योग्य होती है। इसके अतिरिक्त भी सैलरी में कुछ अन्य अलाउंस शामिल होते हैं, जो पूरी तरह करयोग्य होते हैं।

सैलरी में से डिडक्ट होने वाले हिस्से

1. प्रोविडेंट फंड (PF)- हर महीने आपकी सैलरी से प्रोविडेंट फंड के लिए बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा कटता है। साथ ही इतनी ही राशि नियोक्ता आपके पीएफ खाते में जमा करता है। कटौती की दर कंपनी नियमों के हिसाब से तय होती है।

2. प्रोफेशनल टैक्स- केवल कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़, केरल, मेघालय, ओडिशा, त्रिपुरा, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में मान्य। इसमें आपके टैक्स स्लैब के मुताबिक आपकी सैलरी का कुछ अंश काटा जाता है।

3. स्त्रोत पर कर कटौती- आयकर विभाग के नियमों के तहत नियोक्ता आपके कुल टैक्स स्लैब से कटौती की राशि तय करता है और इसको टीडीएस के रूप में आपकी सैलरी से काटता है। टीडीएस कटने से बचाने के लिए वित्त वर्ष के शुरूआत में ही सालाना बचत का एक अनुमान नियोक्ता को सौपें और टैक्स बचाने के लिए 80 C धारा के तहत निवेश करें।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Personal Finance News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement