Highlights
- इस कर्ज को लेने के लिए किसी न्यूनतम आमदनी की जरूरत नहीं
- अगर मकान की कीमत 50 लाख तो बैंक हर महीने 10,000 रुपए दे सकता है
- हर पांच साल के बाद मकान की कीमत का फिर से आकलन किया जाता है
Pension Scheme: रिटायरमेंट के बाद जरूरी खर्चों के लिए मंथली पैसे की चिंता हर किसी को होती है। ऐसा इसलिए कि रिटायरमेंट के बाद सैलरी मिलनी बंद हो जाती है और प्राइवेट नौकरी में पेंशन का प्रावधान नहीं होता है। अब बहुत सारी सरकारी नौकरियों में भी पेंशन नहीं है। ऐसे में अगर आपके पास घर है तो आप आसानी से प्रत्येक महीने पेंशन पा सकते हैं। आप इस कठीन वक्त में बैंक की रिसर्व मॉर्गेज लोन स्कीम का लाभ ले सकते हैं। आइए, जानते हैं कि क्या है मॉर्गेज लोन स्कीम और आप इसका फायदा कैसे ले सकते हैं।
रिसर्व मॉर्गेज लोन स्कीम
जैसा कि यह नाम से ही रिवर्स लग रहा है, मतलब वापस। इस स्कीम में मकान को बैंक के पास गिरवी रखा जाता है, लेकिन बैंक उस पर तत्काल कब्जा नहीं करता। इसके अलावा इस स्कीम के जरिए बुजर्ग पति-पत्नी को गुजारे के लिए हर महीने एक तय रकम मिलती रहती है। रिवर्स मार्गेज लोन स्कीम होम लोन से ठीक विपरित काम करती है। होम लोन में हर महीने बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट को किस्त (EMI) भरनी पड़ती है, जबकि रिवर्स मार्गेज लोन स्कीम में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन/बैंक मकान को मोर्गेज (गिरवी) रखकर हर महीने एक निश्चित रकम देते हैं।
किसको मिलता है यह कर्ज
यह कर्ज उन वरिष्ठ नागरिकों को मिलती है जिनकी उम्र 60 साल या इससे अधिक है। यह लोन 15 सालों के लिए होता है। हर महीने कितनी राशि मिलेगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि गिरवी रखे गए मकान की कीमत क्या है। उदाहरण के तौर पर अगर मकान की कीमत 50 लाख रुपए है तो उस स्थिति में बैंक 15 सालों तक हर महीने तकरीबन 10,000 रुपए दे सकता है। इस बीच 15 लाख रुपए तक की एकमुश्त राशि जरूरत पड़ने पर मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए ली जा सकती है। इस कर्ज को लेने के लिए किसी न्यूनतम आमदनी की जरूरत नहीं है।
कौन अदा करता है कर्ज
जब पति-पत्नी दोनों का देहांत हो जाता है, तो बैंक उनके बच्चों (या कानूनी वारिसों) को इस कर्ज की ब्याज सहित अदायगी विकल्प देता है। यह राशि जमा कर ये लोग वह मकान बैंक से छुड़ा सकते हैं। लेकिन अगर ये लोग इसके लिए तैयार नहीं होते, तो फिर बैंक इस मकान को नीलाम कर देता है और बुजुर्गों के लिए दी गई रकम काटने के बाद बाकी राशि इसके वारिसों को वापस कर देता है।
बढ़ सकती है हर महीने मिलने वाली राशि
हर पांच साल के बाद इस मकान की कीमत का फिर से आकलन किया जाता है और यदि उस मकान की कीमत बढ़ जाती है तो हर महीने मिलने वाली राशि बढ़ जाती है। इस राशि पर उस बुजुर्ग पति-पत्नी को कोई इनकम टैक्स भी नहीं देना होता। इस स्कीम के तहत बैंक 60 साल की उम्र से अधिक लोगों को ही लोन देती है। कुछ बैंक हैं जो 72 साल की उम्र पार करने पर ये लोन नहीं देते। यह लोन 15 साल तक के लिए ही मिलता है।