बहुत सारे लोगों की हमेशा शिकायत रहती है कि पैसा कमाने के बाद भी उनके हाथ में पैसा टिकता ही नहीं है। वो इसके पीछे आसमान छूती महंगाई और दूसरे खर्चों को देते हैं। हालांकि, इसमें पूरी सच्चाई नहीं है। अधिकांश लोग कमाई के बाद खर्च का सही तरीके से प्रबंधन नहीं करने के कारण मनी डिसॉर्डर के शिकार हो जाते हैं। मनी डिसॉर्डर का मतलब, पैसे को ठीक से संभाल न पाने की कमी है। इसके चलते वो हमेशा किल्लत में रहते हैं। आइए, जानते हैं कि इस मनी डिसॉर्डर से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।
बिना सोचे-समझे फैसला ले लेना
लक्षण: आप जानबूझकर अपना सारा पैसा कहीं भी किसी को भी दे देते हैं। आप भले ही अच्छी कमाई करते हों, लेकिन महीने के अंत तक आपके पास ज्यादा पैसा नहीं बचता है, जिससे आपके आर्थिक लक्ष्य पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
इलाज: अपनी सैलरी अपने पति या पत्नी के हाथ में दें, जो उसे ठीक से इन्वेस्ट कर सके।
काम की लत
लक्षण: आप बिना ब्रेक लिए बहुत मेहनत से काम करते हैं क्योंकि आप ज्यादा से ज्यादा दौलत जुटाना चाहते हैं।
इलाज: अपने लिए छोटे- छोटे लक्ष्य बनाएं और तय करें कि उन्हें पूरा करने के लिए आपको कितना पैसा जुटाना होगा।
जबरदस्ती चीजें खरीदना
लक्षण: आप जल्दी-जल्दी चीजें खरीदना और पैसा खर्च करना चाहते हैं क्याेंकि इससे आपको खुशी मिलती है।
इलाज: अपनी चिंता और बेचैनी का हल निकालिए। जैसे ही चिंता की वजह खत्म हो जाएगी, आपकी आदत भी बदल जाएगी।
आर्थिक विश्वासघात
लक्षण: आप पैसों के बारे में या अपने खर्चों के बारे में अपने पति-पत्नी से डिस्कस नहीं कर रहे हैं।
इलाज: एक-दूसरे से बातचीत करें।
फाइनेंस को लेकर टालमटोल रवैया
लक्षण: आप बहुत जरूरी चीजों में या क्रेडिट कार्ड का बिल भरने में पैसा खर्च नहीं करते। कहीं इन्वेस्ट नहीं करते और अपने बैंक में पैसे को बेकार पड़ा रहने देते हैं। टैक्स रिटर्न भरने तारीख आगे बढ़ाते रहते हैं और अपना पोर्टफोलियो मैनेज नहीं करते। अपने पैसे का सही इस्तेमाल न करना आर्थिक चिंता की निशानी हो सकता है।
इलाज: अपनी सभी आर्थिक गतिविधियों के लिए तारीख तय करें और अपने फोन में रिमाइंडर सेट करें।