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मैटरनिटी इंश्योरेंस लेना है समझदारी या पैसों की बरबादी, ये 4 बातें फैसला लेने में करेंगी मदद

आर्थिक रूप से मजबूत रहने के लिए मैटरनिटी इंश्योरेंस का लाभ उठाया जा सकता है। इसलिए यहां जानिए मैटरनिटी इंश्योरेंस के बारे में।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: April 23, 2023 10:55 IST
मैटरनिटी इंश्योरेंस- India TV Paisa
Photo:FILE मैटरनिटी इंश्योरेंस

Maternity Insurance: माता-पिता बनना किसी भी कपल के लिए बेहद सुखद अनुभव होता है। वहीं इस दुनिया में एक नये जीवन का लाना एक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। कहते हैं प्रेग्नेंसी के पीरियड को हैप्पी और हेल्दी रखने के लिए कई सारी प्लानिंग करनी पड़ती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ मैटरनिटी इंश्योरेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहें हैं, जिससे प्रेग्नेंसी पीरियड को आसान बनाने में फाइनेंशियल मदद मिल सके। 

मैटरनिटी इंश्योरेंस क्या है? 

हाई-टेक होते इस वर्ल्ड में अस्पताल भी नई-नई तकनीक से जुड़ने लगे हैं, लेकिन नई टेक्नोलॉजी और अस्पतालों के बढ़ती फीस की वजह से आम लोगों को पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहें हैं। ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी के दौरान फाइनेंशियल प्लानिंग की जाए तो बनने वाले पेरेंट्स टेंशन फ्री रह सकते हैं, तो ऐसे में मैटरनिटी इंश्योरेंस कपल्स के लिए बेहद सहायक हो माना गया है। दरअसल मैटरनिटी इंश्योरेंस लेने से प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले खर्चों से निपटने में मदद मिल सकती है। मैटरनिटी इंश्योरेंस के अंतर्गत रेगुलर डायग्नोस्टिक टेस्ट, गर्भवती महिला की दवाएं एवं हॉस्पिटल में होने वाले खर्च पर बीमा कंपनी कवर देती है। अगर ऐसे और आसान शब्दों में समझें तो शिशु के जन्म से जुड़े खर्च और हॉस्पिटल में होने वाले खर्च को शामिल किया गया है।  

किन-किन कारणों से मैटरनिटी इंश्योरेंस लेना है समझदारी?

  1. मैटरनिटी इंश्योरेंस लेने से गर्भवती महिला को हेल्थ सिक्योरिटी मिल सकती है। दरअसल मैटरनिटी इंश्योरेंस लेने से हॉस्पिटल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च के लिए कवरेज दी जाती है। कुछ मैटरनिटी इंश्योरेंस में पोस्ट डिस्चार्ज कवर भी दी जाती है, जिसके अंतर्गत हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद 60 दिनों के खर्च भी स्किम के अंतर्गत आते हैं। 
  2. प्रेग्नेंसी के लिए इंश्योरेंस लेने पर कैशलेश हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा मिल सकती है। अगर इमरजेंसी में एडमिट होना पड़े, तो ऐसी स्थिति में हॉस्पिटल में कैश डिपॉजिट करना भी जरूरी नहीं होता है। हालांकि हॉस्पिटल में एडमिशन के बाद बीमा कंपनी को इसकी जानकारी जरूर देनी पड़ती है और आवश्यक डॉक्यूमेंट्स में जमा करना पड़ता है।
  3. मैटरनिटी इंश्योरेंस के अंतर्गत एम्बुलेंस के खर्च से भी बचा जा सकता है, क्योंकि यह भी बीमा कंपनी की ओर से ही दी जाती है। 
  4. प्रेग्नेंसी के लिए इंश्योरेंस जन्म लेने वाले शिशु के लिए उपलब्ध होता है, हालांकि इसकी सुविधा सिर्फ 1 से 90 दिनों तक ही ली जा सकती है।   

इन 4 जरूरी बातों को ध्यान में रखकर मैटरनिटी इंश्योरेंस लिया जा सकता है, जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान आर्थिक मदद मिल सके। वहीं अगर आप प्रेग्नेंसी के लिए इंश्योरेंस लेने पर विचार कर रहें हैं, तो इंश्योरेंस कवर लेने से पहले यह जरूर समझें की आप जिस बीमा कंपनी से मैटरनिटी इंश्योरेंस ले रहें हैं वह आपको क्या-क्या सुविधा दे रहे है। 

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